________________ 100 ] बृहत्संग्रहणीरत्न हिन्दी [ गाथा 40-41 विशेषार्थ-पहले आठ प्रकारके व्यन्तरनिकायोंका अल्प वर्णन किया। उसी व्यन्तरजातिमें एक अवान्तर ( दूसरे प्रकारके ) व्यन्तर भी हैं अतः वे वाणव्यन्तरके रूपमें जाने जाते हैं। व्यन्तरोंके स्थानसे इन वाणव्यन्तर देवोंका स्थान अलग है, अतः प्रत्येक निकायके नाम तथा स्थान आदिका वर्णन करते हैं / ‘वाणव्यन्तर' अर्थात् क्या ? वनानामन्तरेषु विशेषेण भवाः वनवन्तराः-वनों (जंगलों) के मध्यभागों में विशेष रूप में होनेवाले (बसनेवाले) वे वाणव्यन्तर कहलाते हैं। वे आठ प्रकारके हैं-१. अणपन्नी निकाय, 2. पणपन्नी निकाय, 3. ऋषिवादी निकाय, 4. भूतवादी निकाय, 5. कंदित निकाय, 6. महाकंदित निकाय, 7. कोहंड निकाय, 8. पतंग निकाय / पहले व्यन्तरोंका स्थान बताते जो सौ सौ योजन छोड़े गये थे उनमें मात्र ऊपरकी सौ योजन पृथ्वीमें ही दस-दस योजन ऊपर और नीचे छोड़नेके बाद मध्यकी असी योजन पृथ्वीमें ही वाणव्यन्तरदेव बसते हैं, जिनके निकायोंके नाम ऊपर बताये हैं। ___ इन आठों निकायोंके दक्षिण-उत्तरभेदसे 16 इन्द्र हैं। ये निकाय समभूतलाके रुचक स्थानसे दक्षिण-उत्तर दिशामें जानें / 1. प्रश्न–'समभूतला' अर्थात् क्या ? उत्तर-जिस तरह लौकिक व्यवहारमें विज्ञानियोंने प्रायः बहुत-सी [पृथ्वी-नदीपर्वतादि ] वस्तुओं की ऊँचाई-नीचाईके मापके लिए समुद्रकी सतह निश्चित की है। अर्थात् उसका 'समभूतलस्थान' काल्पनिक दृष्टिसे दरियाई सतह रक्खा है, वैसे जैन सिद्धान्तों में ऊर्ध्वलोकमें, अधोलोकमें और तिजलोकमें विद्यमान (प्रायः) शाश्वती जिस-जिस वस्तुका जितनी-जितनी ऊँचाई-नीचाईका प्रमाण दिखाया है वह सब सर्वज्ञोक्त वचनानुसार इस समभूतलाकी अपेक्षासे रक्खा गया है / 2. प्रश्न-यह समभूतला पृथ्वी कहाँ आई है ? रुचकप्रदेश कहाँ आये हैं ? समभूतला और रुचकप्रदेश वे दोनों एक ही स्थान-स्थित हैं अथवा अन्य-अन्य स्थान-स्थित हैं ? उत्तर-एक लाख योजनकी लम्बाई-चौड़ाईवाले जम्बूद्वीपके मध्यभागमें आये महाविदेहक्षेत्रमें मन्दर-मेरु नामका पर्वत आया है। जिसे इतर दर्शनकार भी मानते हैं / वह ऊँचाईमें मूलभागके साथ 1 लाख योजनका है और कन्दसे लेकर 99000 योजन बाहर है। जिससे अवशिष्ट एक हज़ार योजन मूलमें (रत्नप्रभा पृथ्वीमें ) पहूँचा हुआ है। यह मेरु कन्दभागमें अर्थात् रत्नप्रभ.का पिण्ड पूरा हो वहाँ दस हजार योजनकी परिधिवाला है, फिर आगे क्रमशः घटता है। [जिसका करणादि सविस्तर स्वरूप श्री जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसे जानने योग्य है।]