________________ 8000 अधिका 2000 मनुष्यक्षेत्रमें ताराओंका समावेश। ] गाथा-६० [129 // मनुष्यक्षेत्रवर्ती चरज्योतिषीयोंकी संख्या तथा विमानोंके प्रमाण आदिका यन्त्र // ज्यो०के नाम | आया० विष्कम्भ | ऊँचाई प्रमाण | वि० वा- गतिक्रम ऋद्धिक्रम जंबूद्वीप प्रमाण हक सं० संख्या 1. चन्द्र विमान | 1 यो के 56 | 1 यो०के 28 | 16000 / मंद | अधिक | बटे 61 वा भाग बटे 61 वाँ भाग उससे 2. सूर्य विमान | 1 यो के 48 | 1 यो०के 24 , अल्प | बटे 61 वाँ भाग | बटे 61 वा भाग उससे 3. ग्रह विमान | 2 कोस / 1 कोस अल्प 176 4. नक्षत्र ,, / 1 कोस / 0 // कोस 4000 5. तारा ,, | 0 // कोस / कोस | 133950 कोडाकोडी अवतरण-पहलेकी गाथामें कहे गए चन्द्रके परिवारके विषयमें सुनकर शिष्य प्रश्न करता है कि मनुष्यक्षेत्र तो पैंतालीस लाख योजन प्रमाण है और ताराओंकी संख्या तो आप बहुत बताते हैं, उतने क्षेत्रमें उन ताराओंका समावेश किस प्रकार होगा ? शिष्यकी शंकाका समाधान करनेके लिए शास्त्रकार महाराजा गाथा कहते हैं: कोडाकोडी सन्नं-तरंति मन्नंति खित्तथोवतया / केइ अन्ने उस्से-हंगुलमाणेण ताराणं // 6 // गाथार्थ-कोई आचार्य कोडाकोडीको संज्ञांतर-नामांतर कहते हैं, क्योंकि मनुष्यक्षेत्र कम है और कोई आचार्य ताराओंके विमानोंको उत्सेधांगुलसे मापनेको कहते हैं // 60 // विशेषार्थ—पूर्वकृत शंकाका समाधान करनेके लिए ग्रन्थकार आचार्योके अभिप्राय * दिखाकर समन्वय करनेके लिए समाधान करते हैं 1. कतिपय आचार्य भगवन्त ऐसा कहते हैं कि वर्तमानमें तो एक करोडको (10000000) करोड़से गुनने पर कोडाकोडी होता है, परन्तु करोड़की वर्तमान प्रसिद्ध . संख्याको ग्रहण न करें, लेकिन जैसे व्यवहारमें बीसकी संख्याको भी कोड़ी कहा जाता है, वैसे यहाँ भी उसके जैसी अल्पसंख्याको कोड़ी गिने और उस प्रमाणसे ताराओंका कोडाकोडी संख्यापन ग्रहण करें, तो इस जम्बूद्वीपमें उतने तारे सुखसे समा सकते हैं / 148 . 148. कोई आचार्य (जिनभद्र गणि क्ष० ) ताराओंकी संख्याको कोडाकोडी न मानते हुए कोड़ी ही मानते हैं और संशय दूर करते हैं / ' तत्त्वं केवलीगम्यम् /