Book Title: Sangrahaniratna Prakaran Bruhat Sangrahani Sutra
Author(s): Chandrasuri, Yashodevsuri
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 756
________________ * 360 * * श्री बृहत्संग्रहणीरत्न-हिन्दी भाषांतर * * 500 धनुषके हाथ एक हजार होते हैं / नियमानुसार दो हजार हाथके 48 हजार अंगुल होते हैं / * भगवान श्री महावीर प्रभु की काया 120 अंगुलकी थी / भगवान आत्मांगुलसे अर्थात् अपनी कायाके अंगुलके मापसे पाँच हाथके थे / इन पाँच हाथके अंगुल (5424 अंगुलसे गुननेसे ) 120 होते हैं / इस तरह 120 का मेल हो जाता है। __ दिगम्बर जैन ग्रन्थका आधार क्या कहता है ? * हम श्वेताम्बर शास्त्रके माननेवाले हैं / लेकिन अन्य दिगम्बर ग्रन्थोंमें श्वेताम्बरसे थोडा फर्क है / हम 400 गुने उत्सेधांगुलको एक प्रमाणांगुल मानते हैं जबकि दिगम्बर 500 गुने उत्सेधांगुलको एक प्रमाणांगुल मानते हैं। उनकी सूक्ष्म गणनामें 1 योजनके 4545.45 मील होते हैं / * दिगम्बर मतसे भगवान महावीरकी काया आत्मांगुलसे 4 हाथकी अर्थात् (4424=96) अंगुलकी होती है / श्वेताम्बर मतसे स्थूल गणनासे उपर बताया गया है कि एक योजनके मील 3600 होते हैं जबकि दिगम्बर मतकी स्थूल गणना से 1 योजनके 4500 मील होते हैं / लेकिन इस मापकी वरावर सूक्ष्म गणना करें तो 4545.45 मील होंगे / -समाप्तश्री शत्रुजयगिरिवराय नमः मुद्रण समाप्त वि. सं. 2046 CAT

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