________________ .252 . * श्री बृहत्संग्रहणीरत्न-हिन्दी भाषांतर * पर भी उसका व्यापार नहीं हो सकता। इसके लिए पर्याप्तिका बल मिलना ही चाहिए, तब धौंकनी क्रियाशील बन सकती है। जैसेकि-एक सैनिकने स्वकर्मके प्रतापसे स्वतः वाण छोड़नेकी शक्ति तो प्राप्त की है। परंतु धनुषग्रहणादि क्रियाका सहारा न ले तो शक्ति होने पर भी शक्तिका व्यापार नहीं कर सकता। इस तरह श्वासोच्छ्वास नामकर्मके प्रतापसे श्वासोच्छ्वास ले सके ऐसी लब्धि-शक्ति (श्वा०लब्धि) पाई है। लेकिन श्वासोच्छवास पर्याप्तिके सहकारके बिना श्वास प्राण (लेने-छोड़नेकी क्रिया) रच नहीं सकते, उनके मिलनसे ही प्राण प्रकट होते हैं। इसमें श्वासोच्छ्वास नामकर्म, लब्धि, पर्याप्ति और प्राण चारोंके कार्य बताये। इनमें सामान्यतः कर्म साधन, लब्धि-पर्याप्ति ये सब सहकारणरूप हैं, और प्राण कार्य है। शंका- श्वासोच्छवासके पुद्गलोंको जीव क्या घ्राण-नासिका द्वारा ही ग्रहण करके, नासिकाके द्वारा ही छोड़ता है ? समाधान- नहीं, ऐसा नहीं है। इसमें विकल्प है। एक इन्द्रिय, दो इन्द्रियवाले जीव जिनके नासिका होती ही नहीं, उन्हें अपनी तरह नासिकाके द्वारा श्वास लेने छोड़नेका न होनेसे अन्य देखनेवालेको बाह्य श्वासोच्छवास क्रिया प्रत्यक्ष दीखती नहीं, लेकिन श्वासोच्छ्वास प्राण उन्हें जरूर होते हैं / अब है तो किस तरह ! तो समझना कि समग्र शरीरके प्रदेशोंके द्वारा वे श्वासोच्छ्वासके पुद्गलोंको ग्रहण करके, समग्र शरीरमें ही उन पुद्गलोंको श्वासोच्छ्वासके रूपमें परिणत करके, अवलंबन लेकर सर्व शरीर प्रदेशसे विसर्जन करते हैं। तात्पर्य यह हुआ कि ये जीव मात्र नासिकासे ही नहीं लेकिन सर्वात्मशरीर प्रदेशके द्वारा श्वासोच्छ्वास ग्रहण करते होनेसे उन्हें आभ्यन्तर श्वासोच्छ्वास होता है। __जबकि नासिकावाले जीवोंके तो स्पष्ट रूपसे नासिकासे ही ग्रहण होता है। यह बाहरसे दीखता है अतः उसे बाह्य श्वासोच्छ्वास कहा जाता है / लेकिन प्राण रचनेके लिए होता पुद्गलोंका ग्रहण तो सर्वात्म शरीर प्रदेशके द्वारा ही होता है / लेकिन अपनी सूक्ष्म नजरसे वह दीखता नहीं है / इसे आभ्यन्तर श्वासोच्छवास कहा जाता है। उन्हें इस तरह दोनों प्रकारके श्वासोच्छ्वास घटाये जाते हैं। यहाँ एक बात ख्यालमें रखनी कि श्वासोच्छ्वासमें पुद्गलोंका ग्रहण, परिणमन और विसर्जन सब एक ही काययोग अर्थात् समग्र शरीरसे ही होता होनेसे उस (श्वासो० ) नामका अलग योग न मान कर उसका काययोगमें ही समावेश किया है।