________________ 168 ] बृहत्संग्रहणीरत्न हिन्दी [ गाथा-८१ समुद्रमें 42 चन्द्र होनेसे इक्कीस चन्द्रपिटककी अपेक्षासे 21 नक्षत्रपिटक हुए, कुल नक्षत्र संख्या 1176 और अर्ध पुष्करवरद्वीपमें 72 चन्द्र होनेसे छत्तीस चन्द्रपिटक की अपेक्षासे 36 नक्षत्रपिटक हुए, कुल नक्षत्र संख्या 2016 हुई, इस तरह सर्व मिलकर मनुष्यक्षेत्रमें 66 नक्षत्रपिटक होते हैं और सब मिलकर तीन हजार छ: सौ और छियानवे (3696) नक्षत्र हैं / इन 56 नक्षत्रोंमेंसे एक चन्द्रके परिवाररूपमें 28 नक्षत्र जम्बूद्वीपके दक्षिणार्ध वलयमें होते हैं और उत्तरार्धमें भी उसी नामवाले दूसरे 28 नक्षत्र होते हैं / और इन नक्षत्रोंकी 56 पंक्तियोंमें दक्षिण दिशामें जहाँ अभिजित् नक्षत्र होता है उसकी समश्रेणिमें 2 लवणसमुद्र में, 6 धातकीखण्डमें, 21 कालोदधिमें और 36 पुष्करार्धमें होते हैं। इस तरह उत्तरदिशामें रहे हुए अमिजित्की समश्रेणिमें लवणादिके अभिजित् नक्षत्र भी स्वयं समझ लें / तात्पम यह है कि, अभिजित् नक्षत्रके प्रारम्भवाली पंक्तिमें समश्रेणिमें ठेठ मानुषोत्तर तक 66 नक्षत्र अभिजित् ही होते हैं / अश्विनीके प्रारम्भवाली पंक्तिमें समश्रेणिमें 66 अश्विनी नक्षत्र ही होते हैं / एक ही नामके नक्षत्रों की एक दिशामें कुल संख्या छियासठ होती है, और उसी तरह प्रतिपक्षी दिशामें भी एक ही नामवाले 66 नक्षत्रोंकी पंक्ति होती है। ये सर्व नक्षत्र पंक्तियाँ भी जम्बूद्वीपके ही मेरुपर्वतको प्रदक्षिणा दे रही हैं। चन्द्र-सूर्यके मण्डलोंकी तरह इन नक्षत्रोंके भी मण्डल हैं, उस विषयक किंचित् वर्णन बाजूके परिशिष्टमें दिया गया है / वहाँसे जानलें / [प्र. गा. सं. 16] [81] // इति नक्षत्रपंक्तिस्वरूपम् // श्री स्थम्भनपार्श्वनाथाय नमोनमः (Keractacancancer cancancercaacaag 1 नक्षत्र विचारे-चतुर्थ लघुपरिशिष्टम् Swacemewww wwwwwere [अत्र अन्य ग्रन्थान्तरसे 'नक्षत्रमण्डल' विषयक उपयोगी विवेचन संक्षेपमें दिया जाता है।] नक्षत्रमण्डलोंकी संख्या ____नक्षत्रों के नाम परसे महीनोंके नाम पडे हैं / कृत्तिका परसे कार्तिक, मृगशीर्ष परसे मागसर अथवा मार्गशीर्ष, पुष्यसे पूस, मघासे माघ, उत्तराफाल्गुनीसे फाल्गुन, चित्रासे चैत, विशाखासे बैसाख, ज्येष्ठासे ज्येष्ठ, पूर्वाषाढासे आषाढ, श्रवणसे सावन, पूर्वाभाद्रपदासे