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सीमातीत शून्य में नीलिमा बिछाई, और "इधर नीचे निरी नीरवता छाई है,
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मूक माटी
निशा का अवसान हो रहा है खान हो रहा है
ree : शफीक
भानु की निद्रा टूट तो गई है परन्तु अभी वह लेटा है
माँ की मार्दव - गोद में,
मुख पर अंचल ले कर करवटें ले रहा है
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प्राची के अधरों पर मन्द-मधुरिम मुस्कान है सर पर पल्ला नहीं है
और
सिन्दूरी धूल उड़ती-सी रंगीन - राग की आभाभाई है, भाई!
मूत्र पाटी
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