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भाववाही आध्यात्मिक रचना। तृतीय नई आवृत्ति, मू. ३०)
समयसार--आचार्य श्री कुन्दकुन्दस्वामी विरचित महान अध्यात्म ग्रन्थ, तीन टीकाओं सहित नयी आवृत्ति छपकर तैयार हैं। मू. ६४)
लब्धिसार--(क्षपणासार गर्भित) श्रीमन्नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती रचित करणानुयोग ग्रंथ। पं. प्रवर टोडरमलजी कृत बड़ी टीका सहित छप गया है। मू. ८०)
द्रव्यानुयोगतर्कणा--श्री भोजसागरकृत तैयार है। मू. ६१)
न्यायावतार--महान तार्किक श्री सिद्धसेन दिवाकर कृत मूल श्लोक व श्रीसिद्धर्षिगणिकी संस्कृत टीकाका हिन्दी भाषानुवाद जैनदर्शनाचार्य पं. विजयमूर्ति एम. ए. ने किया है। न्यायका सुप्रसिद्ध ग्रन्थ हैं। मू. २५)
क्रियाकोष--कवि किशनसिंह विरचित श्रावककी त्रेपन क्रियाओंका सविस्तार वर्णन करनेवाली पद्यमय रचना श्री पन्नालालजी साहित्यचार्य कृत हिन्दी अनुवाद सहित। मू. ७०) ।
प्रशमरतिप्रकरण--आ. श्रीमदुस्वामी विरचित मूल श्लोक, श्रीहरिभद्रसूरि कृत संस्कृत टीका और पं. राजकुमारजी साहित्याचार्य द्वारा सम्पादित सरल अर्थ सहित । वैराग्यका बहुत सुन्दर ग्रंथ है। मू. ३०)
सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र (मोक्षशास्त्र )--श्रीमद् उमास्वामी कृत मूल सूत्र और स्वोपज्ञभाष्य तथा पं. खूबचंदजी सिद्धांतशास्त्री कृत विस्तृत भाषा टीका। तत्वोंका हृदयग्राह्य गम्भीर विश्लेषण, मू. ४८)
सहज सुख साधन (गुजराती) मू. २५)
सप्तभंगीतरंगिणी-- श्री विमलदास कृत मूल और स्व. पं..। ठाकुरप्रसादजी शर्मा व्याकरणाचार्य कृत भाषा टीका नव्यन्यायका महत्वपूर्ण है। मू. २०) दिगम्बर जैन पुस्तकाय, गांधीचौक, सुरत
(0261) 2590627
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