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माक्षशास्त्र सटीक पर्याय- क्रमसे होनेवाली वस्तुकी विशेषताको पर्याय कहते है जैसे जीवकी नर नारकादि ॥ ३८॥
काल भी द्रव्य है
कालश्च ॥३९॥ अर्थ- काल भी द्रव्य है, क्योंकि यह भी उत्पाद व्यय ध्रौव्य तथा गुण पर्यायोंसे सहित है।
नोट- यह काल द्रव्य रत्नोंकी राशिकी तरह एक दूसरेसे पृथक् रहते हुए लोकाकाशके समस्त प्रदेशोंपर स्थित है। यह एकप्रदेशी और अमूर्तिक है॥३९॥
कालद्रव्यकी विशेषता
सोऽनन्तसमयः ॥४०॥ अर्थ- वह काल द्रव्य अनन्त समयवाला है। यद्यपि वर्तमान काल एक समयमात्र ही है तथापि भूत भविष्यत्की अपेक्षाअनन्त समयवाला है।
समय- कालद्रव्यके सबसे छोटे हिस्सेको समय कहते हैं। मंदगतिसे चलनेवाला पुद्गल परमाणु आकाशके एक प्रदेशसे दूसरे प्रदेशपर जितने कालमें पहुँचता है उतना काल एक समय है। इन समयोंके समूहसे ही आवली, घण्टा आदि व्यवहारकाल होता है। व्यवहारकाल निश्चय कालद्रव्यकी पर्याय है।
निश्चय कालद्रव्य- लोकाकाशके प्रत्येक प्रदेश पर रत्नोंकी राशिकी तरह जो स्थित है उसे निश्चय कालद्रव्य कहते हैं। बर्तना उसका कार्य है ॥ ४०॥
गुणका लक्षणद्रव्याश्रया निर्गुणा गुणाः ॥४१॥ 3. 'च' का अन्वय 'द्रव्याणि' सूत्रके साथ है।
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