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मोक्षशास्त्र सटीक
ध्यान तपका लक्षणउत्तमसंहननस्यैकाग्रचिन्तानिरोधोध्यानमान्तर्मुहर्तात्र७
अर्थ-( उत्तमसंहननस्य)' उत्तम संहननवालेका( अन्तर्मुहूत्तात् ) अन्तर्मुहूर्तपर्यन्त (एकाग्रचिन्तानिरोधः) एकाग्रतासे चिन्ताका रोकना (ध्यानम् ) ध्यान है।
भावार्थ- किसी एक विषयमें चित्तको रोकना सो ध्यान है। वह उत्तम संहननधारी जीवोके ही होता है और एक पदार्थकाध्यान अन्तर्मुहूर्तसे अधिक समय तक नहीं होता है।
ध्यानके भेदआर्तरौद्रधर्म्यशुक्लानि ॥२८॥
अर्थ- आर्तध्यान, रौद्रध्यान, धर्मध्यान और शुक्लध्यान ये ध्यानके चार भेद हैं॥२८॥
परे मोक्षहेतू ॥२९॥ अर्थ- इनमेंसे धर्मध्यान और शुक्लध्यान मोक्षके कारण हैं।
नोट १- धर्मध्यान परम्परासे और शुक्लध्यान साक्षात् मोक्षका कारण है। ___नोट २- शुरूके आर्त और रोद्र ये दो ध्यान संसारके कारण हैं।
आर्तध्यान का लक्षण और भेदआर्तममनोज्ञस्य संप्रयोगे तद्विप्रयोगाय स्मृति
समन्वाहारः ॥३०॥
1. वज्रवृषभ नाराच, वज्रनाराच और नाराच ये तीन संहनन उत्तम संहनन कहलाते हैं। इन संहनन धारी जीवोंके ध्यान होता हैं । यह कथन उत्कृष्ट ध्यानको लक्ष्यमें रखकर किया हगया है। 2. दुःखमें होनेवाले ध्यानको आर्तध्यान कहते है।
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