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प्रथम अध्याय
[ १९
अवधिज्ञानके भेद
(क) अवधिज्ञान
भवप्रत्यय
गुणप्रत्यय
१ अनुगामी, २ अननुगामी, ३ वर्धमान, ४हीयमान, ५ अवस्थित, ६ अनवस्थित
क्षेत्रानुगामी भवानुगामी, उभयानुगामी
क्षेत्राननुगामी भवाननुगामी उभयाननुगामी
(ख) अवधिज्ञान
देशावधि परमावधि
सर्वावधि मति और श्रुतज्ञानका विषयमतिश्रुतयोर्निबन्धो द्रव्येष्वसर्वपर्यायेषु ॥२६॥
___अर्थ- ( मतिश्रुतयोः) मतिज्ञान और श्रुतज्ञानका (निबन्धः) विषय सम्बन्ध ( असर्वपर्यायेषु ) सब पर्यायोंसे रहित (द्रव्येषु) जीव पुद्गल आदि सब द्रव्योंमें (अस्ति) है।
भावार्थ- इन्द्रिय और मनकी सहायतासे उत्पन्न हुए मतिश्रुतज्ञान, रूपी अरूपी सभी द्रव्योंको जानते हैं पर उनकी सभी पर्यायोंको नहीं जान पाते। इसलिए उनका विषय सम्बन्ध द्रव्योंकी कुछ पर्यायोंके साथ होता है ॥२६॥
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