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माक्षशास्त्र सटीक प्रदेश- जितने क्षेत्रको एक पुद्गल परमाणु रोकता हैं उतने क्षेत्रको एक प्रदेश कहते हैं।
___ नोट- सब जीव द्रव्योंके अनन्तानन्त प्रदेश होते हैं, इसलिए सूत्रमें एक जीवका ग्रहण किया है ॥८॥
आकाशस्यानन्ताः ॥९॥ अर्थ-आकाशके अनन्त प्रदेश हैं। परन्तु लोकाकाशके असंख्यात ही हैं ॥९॥ संख्येयाऽसंख्येयाश्च पुद्गलानाम् ॥१०॥
अर्थ- (पुद्गलानाम् ) पुद्गलोंके (संख्यैयाऽसंख्यैया:च) संख्यात, असंख्यात और अनन्त प्रदेश हैं।
__ शङ्का- जब लोकाकाशमें असंख्यात ही प्रदेश हैं तब उसमें अनन्त प्रदेशवाले पुदगल द्रव्य तथा शेष द्रव्य किस तरह रह सकेंगे?
समाधान- पुद्गलद्रव्योंमें दो तरहका परिणमन होता है-एक सूक्ष्म और दूसरा स्थूल। जब उसमें सूक्ष्म परिणमन होता है तब लोकाकाशके एक प्रदेशमें भी अनन्त प्रदेशवाला पुदगल स्कन्ध स्थान पा लेता है। इसके सिवाय समस्त द्रव्योमें एक दूसरेको अवगाहन देनेकी सामर्थ्य है, जिसके अल्प क्षेत्रमें ही समस्त द्रव्योके निवासमें कोई बाधा नहीं होती ॥१०॥
नाणोः ॥११॥ अर्थ- पुद्गलके परमाणुके द्वितीयादिक प्रदेश नहीं हैं अर्थात् वह एक प्रदेशी ही है ॥११॥
समस्त द्रव्योंके रहनेका स्थानलोंकाकाशेऽवगाहः ॥१२॥
अर्थ- ऊपर कहे हुए समस्त द्रव्योंका अवगाह (स्थान) लोकाकाशमें है।
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