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श्रीमद् राजचंद्र आश्रम ( अगास )
गोम्मटसार जीवकांड -- श्री नेमीचंद्र सिद्धांतचक्रवर्ति कृत मूल गाथायें ब्र. पं. खुबचंद्रजी सिद्धांतशास्त्री कृत नई हिन्दी टीका युक्त | अबकी बार पण्डितजीने धवल, जयधवल, महाधवल और बड़ी संस्कृत टीकाके आधारसे विस्तृत टीका लिखी है, पक्की जिल्द । मू. ६५ )
गोम्मटसार-कर्मकांड - - श्री नेमिचंद्र सिद्धांतचक्रवर्ति कृत मूल गाथायें, स्व. पं. मनोहरलालजी शास्त्री कृत संस्कृत छाया और हिन्दी टीका, जैन सिद्धांत-ग्रंथ हैं पंचमावृत्ति, मू. ५० )
स्वामीकार्तिकेयानुप्रेक्षा - स्वामी कार्तिकेयकृत मूल गाथाए श्री शुभचंद्रकृत बड़ी संस्कृत टीका तथा स्याद्वाद महाविद्यालय वाराणसीके प्रधानाध्यापक पं. कैलाशचंद्रजी शास्त्री कृत हिन्दी टीका डा. आ. ने. उपाध्येय कृत अध्ययन पूर्ण अंग्रेजी प्रस्तावना युक्त । सम्पादक --डा. आ. ने. उपाध्ये, कोल्हापुर, मू. ७८ )
परमात्मप्रकाश और योगसार -- श्री योगीन्दुदेव कृत मूल अपभ्रंशदोहे, श्री ब्रह्मदेव कृत संस्कृत टीका व पं. दौलतरामजी कृत हिन्दी टीका । विस्तृत अंग्रेजी प्रस्तावना और उसके हिंदीसार सहित । महान अध्यात्म ग्रन्थ डा. आ. ने. उपाध्येका अमूल्य सम्पादन नवीन संस्करण । मू. ६१ )
ज्ञानार्णव -- श्री शुभचंद्राचार्यकृत महान योगशास्त्र । सुजानगढ़ निवासी पं. पन्नालालजी बाकलीवालकृत हिन्दी अनुवाद सहित, छठ्ठी सुन्दर आवृत्ति । मू. ६३ )
प्रवचनसार -- श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्यविरचित ग्रन्थ रत्नपर श्रीमद्अमृतचंद्राचार्यकृत तत्वप्रदीपिका एवं श्रीमद्जयसेनाचार्य कृत तात्पर्यवृत्ति नामक संस्कृत टीकायें तथा पांडे हेमराजजी रचित बालावबोधिनी भाषाटीका । डा. आ. ने. उपाध्ये कृत अध्ययनपूर्ण अंग्रेजी अनुवाद और विशद् प्रस्तावना आदि सहित आकर्षक सम्पादन । चतुर्थावृत्ति, मू. ६६ ) बृहद्रव्यसंग्रह - - आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धांतिदेव विरचित नूल गाथा, श्री ब्रह्मदेवनिर्मित संस्कृतवृत्ति और जवाहरलाल शास्त्री प्रणीत हिन्दी -
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