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प्रश्नोत्तर-प्रवचन-२ __एक मुनि को मैं सुनने गया। वह मुझसे पहले बोले कि मैंने यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध कर दिया है कि महावीर के पैर से दूध निकला। कैसे सिद्ध कर दिया है ? तो उन्होंने कहा : ऐसे सिद्ध कर दिया है कि जब मां के स्तन से दूध निकल सकता है, यानी शरीर के किसी अंग से दूध निकल सकता है तो पैर से क्यों नहीं निकल सकता है ? तो मैंने उनसे पूछा कि इसके दो अर्थ हुए । एक अर्थ यह हुआ कि महावीर को पुरुष न माना जाए कोंकि पुरुष के स्तन से भी दूध निकलना मुश्किल है, पैर का तो मामला बहुत दूर है। और अब तक किसी स्त्री के पैर से भी दूध नहीं निकला । दूसरी बात यह मानी जाए कि स्तन का जो यन्त्र है वह महावीर के पैरों में लगा हुआ है जो स्त्री के स्तन में होता है। महावीर के पैर में वैसी यांत्रिक व्यवस्था है जिससे खून दूध में रूपान्तरित होता है। लेकिन मैंने उनसे कहा कि ये बातें अगर प्रमाणित भी हो जाएं कि ऐसा था कि महावीर के पैर स्तन का काम कर रहे थे तो भी जो मतलब था वह खो गया, महावीर का जो मूल्य था वह गया। अगर किसी के भी पैर स्तन का काम कर रहे हों तो उनसे दूध निकल आयेगा। इसमें फिर महावीर का कुछ होना न रहा। और यदि मां के स्तन से दूध निकलता है तो यह कोई बड़ी खूबी को बात नहीं है। यह आन्तरिक बात है। अगर सिद्ध भी कर दोगे तो महावीर को पोंछ लोगे । उनकी जो बात थी वह खो जाएगी। वह बात कुल इतनी है कि महावीर का प्रत्युसर मां का उत्तर होने वाला है। चाहे तुम कुछ भी करो, चाहे तुम जहर डालो, शत्रुता करो, चोट पहुँचाओ वहां से प्रेम और करुणा ही बह सकती है। .
___ अब दूध का मतलब क्या होता है। दूध का मतलब है जो तुम्हें पोषण दे सके और कुछ मतलब नहीं होता । महावीर को चाहे तुम गाली दो, महावीर जो भी करेंगे वह तुम्हारा पोषक ही सिद्ध होगा, वह तुम्हें पोपण ही देगा। हमें कोई गाली दे, हम जो करेंगे वह घातक सिद्ध होगा उसके लिए। और हम जो करेंगे दो हो बातें कर सकते हैं या तो वह घातक सिद्ध हो या पोपक सिद्ध हो । महावीर से जो प्रत्युत्तर निकलेगा, जो रिऐक्शन होगा महावीर का, वह पोषक सिद्ध होने वाला है । इतनो भर बात है उसमें । लेकिन तथ्य में जाने पर यह भी जरूरी नहीं कि किसी दिन सर्प ने काटा ही हो। यह भी जरूरी नहीं कि पैर से दूध निकला हो। जरूरी केवल इतना है कि महावीर के पूरे जीवन को जिसने भी अनुभव किया है उसे ऐसा लगा है कि इसे अगर हम कविता में कहें तो ऐसे कह सकते हैं कि सर्प भी काटे महावीर को, तो दूध ही