Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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ततीय प्रतिपत्ति - वनखण्ड का वर्णन
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___ भावार्थ - उन तृणों और मणियों में जो लाल वर्ण के तृण और मणियां हैं उनका वर्णन इस प्रकार कहा गया है - जैसे खरगोश का रुधिर हो, भेड का रुधिर हो, मनुष्य का रक्त हो, सूअर का रक्त हो, भैंस का रक्त हो, सद्यजात इन्द्रगोप (लाल रंग का कीडा) हो, उदीयमान सूर्य हो, संध्या राग हो, गुंजा का अर्धभाग हो, उत्तम जाति का हिंगुलु हो, शिला प्रवाल (मूंगा) हो, प्रवालांकुर (नवीन प्रवाल.का किशलय) हो, लोहिताक्ष मणि हो, लाख का रस हो, कृमिराग (किरमची रंग) हो, लाल कंबल हो, चीन धान्य का पीसा हुआ आटा हो, जपा का फूल हो, किंशुक का फूल हो, पारिजात का फूल हो, लाल कमल हो, लाल अशोक हो, लाल कनेर हो, लाल बंधुजीवक हो। हे भगवन्! क्या ऐसा उन तृणों और मणियों का वर्ण है ? हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है। उनका वर्ण इनसे भी अधिक इष्ट, कांत, प्रिय, मनोज्ञ और मनोहर कहा गया है।
तत्थ णं जे ते हालिहगा तणा य मणी य तेसि णं अयमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते, से जहाणामए-चंपएइ वा चंपगच्छल्लीइ वा चंपयभेएइ वा हालिद्दाइ वा हालिद्दभेएइ वा हालिद्दगुलियाइ वा हरियालेइ वा हरियालभेएइ वा हरियालगुलियाइ वा चिउरेइ वा चिउरंगरागेइ वा वरकणएइ वा वरकणगणिघसेइ वा सुवण्णसिप्पिएइ वा वरपुरिसवसणेइ वा सल्लइकुसुमेइ वा चंपगकुसुमेइ वा कुहुंडियाकुसुमेइ वा (कोरंटगदामेइ वा) तडउडाकुसुमेइ वा घोसाडियाकुसुमेइ वा सुवण्णजूहियाकुसुमेइ वा सुहरिणयाकुसुमेइ वा (कोरिंटवरमल्लदामेइ वा) बीयगकुसुमेइ वा पीयासोएइ वा पीयकणवीरेइ वा पीयबंधुजीएइ वा, भवे एयारूवे सिया? - णो इणढे समढे, ते णं हालिद्दा तणा य मणी य एत्तो इट्ठतरा चेव जाव वण्णेणं पण्णत्ता।
भावार्थ - उन तृणों और-मणियों में जो पीले वर्ण के तृण और मणियां हैं, उनका वर्ण इस प्रकार कहा गया है जैसे - सुवर्ण चम्पक का वृक्ष हो, सुवर्ण चम्पक की छाल हो, सुवर्ण चम्पक का खण्ड हो, हल्दी हो, हल्दी का टुकड़ा हो, हल्दी के सार की गुटिका हो, हरिताल हो, हरिताल का टुकड़ा हो, हरिताल की गुटिका हो, चिकुर (राग द्रव्य विशेष) हो, चिकुर से बना हुआ वस्त्रादि पर रंग हो, श्रेष्ठ स्वर्ण हो; कसौटी पर घिसे हुए स्वर्ण की रेखा हो, स्वर्ण की सीप हो, वासुदेव का वस्त्र हो, सल्लकी का फूल हो, स्वर्ण चम्पक का फूल हो, कुष्माण्ड का फूल हो, कोरंट पुष्प की माला हो, तडवडा (आवली) का फूल हो, घोंषातकी का फूल हो, सुवर्ण यूथिका का फूल हो, सुहरण्यिका का फूल हो, बीजक वृक्ष का फूल हो, पीला अशोक हो, पीला कनेर हो, पीला बंधुजीवक हो। हे भगवन्! क्या उन
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