Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 416
________________ सर्व जीवाभिगम-सर्व जीव दसविध वक्तव्यता ३९९ पढमसमयतिरिक्खजोणियस्स० अंतरं० केवच्चिरं होइ? गोयमा! जहण्णेणं दो खुड्डागभवग्गहणाइं समऊणाई उक्कोसेणं वणस्सइकालो, अपढमसमयतिरिक्खजोणियस्स णं भंते!०? गोयमा! जहणणेणं खुड्डागभवग्गहणं समयाहियं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहत्तं साइरेगं, पढमसमयमणूसस्स णं भंते! अंतरं कालओ०? गोयमा! जहण्णेणं दो खुड्डागभवग्गहणाई समऊणाई उक्कोसेणं वणस्सइकालो, अपढमसमयमणूसस्स णं भंते! अंतरं०? गोयमा! जहण्णेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्कोसेणं वणस्सइकालो देवस्स अंतरं जहा णेरइयस्स, पढमसमयसिद्धस्स णं भंते! अंतरं०? गोयमा! णत्थि, अपढमसमयसिद्धस्स णं भंते! अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! साइयस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं॥ __एएसि णं भंते! पढमसमय रइयाणं पढमसमय तिरिक्खजोणियाणं पढमसमयमणूसाणं पढमसमयदेवाणं पढमसमयसिद्धाण य कयरे २...? गोयमा! सव्वत्थोवा पढमसमयसिद्धा पढमसमयमणूसा असंखेनगुणा पढमसमय णेरइया असंखेजगुणा पढमसमय देवा असंखेजगुणा पढमसमय तिरिक्खजोणिया असंखेजगुणा। एएसि णं भंते! अपढमसमयणेरइयाणं जाव अपढमसमयसिद्धाण य कयरे०? गोयमा! सव्वत्थोंवा अपढमसमय मणूसा अपढमसमय णेरड्या असंखेजगुणा अपढमसमय देवा असंखेजगुणा अपढमसमय सिद्धा अणंतगुणा अपढमसमय तिरिक्खजोणिया अणंतगुणा। एएसि णं भंते! पढमसमय रइयाणं अपढमसमय णेरइयाण य कयरे २.....? गोयमा! सव्वत्थोवा पढमसमय णेरइया अपढमसमय णेरइया असंखेजगुणा, एएसि णं भंते! पढमसमय तिरिक्खजोणियाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणियाण य कयरे..............? गोयमा! सव्वत्थोवा पढमसमयतिरिक्खजोणिया अपढमसमय तिरिक्खजोणिया अणंतगुणा, एएसिणं भंते! पढमसमय मणूसाणं अपढमसमयमणूसाण य कयरे २....? गोयमा! सव्वत्थोवा पढमसमयमणूसा अपढमसमय मणूसा असंखेज्जगुणा, जहा मणूसा तहा देवावि, एएसि णं भंते! पढमसमयसिद्धाणं अपढमसमयसिद्धाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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