Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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जीवाजीवाभिगम सूत्र
पासायवडेंसगस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पण्णत्ते, दाहिणस्स भवणस्स पच्चत्थिमेणं दाहिणपच्चथिमिल्लस्स पासायवडिंसगस्स पुरथिमेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पण्णत्ते तं चेव पमाणं सिद्धाययणं च, जंबूओ पच्चथिमिल्लस्स भवणस्स दाहिणेणं दाहिणपच्चथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स उत्तरेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पण्णत्ते तं चेव पमाणं सिद्धाययणं च, जंबूए० पच्चथिमिल्लस्स भवणस्स उत्तरेणं उत्तरपच्चथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स दाहिणेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पण्णत्ते तं चेव पमाणं सिद्धाययणं च। जंबूए० उत्तरस्स भवणस्स पच्चत्थिमेणं उत्तरपच्चत्थिमस्स . पासायवडेंसगस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पण्णत्ते, तं चेव०।.. ...
जंबूए० उत्तरभवणस्स पुरथिमेणं उत्तरपुरथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पण्णत्ते, तं चेव पमाणं तहेव सिद्धाययणं।
जंबू णं सुदंसणा अण्णेहिं बहूहिं तिलएहिं लउएहिं जाव रायरुक्खेहिं हिंगुरुक्खेहिं जाव सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता। जंबूए णं सुदंसणाए उवरि बहवे अट्ठमंगलगा पण्णत्ता, तंजहा - सोत्थियसिरिवच्छ० किण्हा चामरज्झया जाव छत्ताइच्छत्ता॥
भावार्थ - उस कूट के ऊपर बहुसमरमणीय भूमिभाग है आदि सारा वर्णन पूर्वानुसार कहना चाहिये यावत् वहां बहुत से वाणव्यंतर देव देवियां बैठते हैं आदि। उस बहुसमरमणीय भूमिभाग के मध्य में एक सिद्धायतन कहा गया है जो एक कोस प्रमाण वाला है आदि सिद्धायतन का सारा वर्णन पूर्वानुसार कह देना चाहिये। उस जंबू-सुदर्शना के पूर्व दिशा के भवन से दक्षिण में और दक्षिण-पूर्व के प्रासादावतंसक के उत्तर में एक विशाल कूट है। उसका प्रमाण वही है यावत् वहां सिद्धायतन है।
उस जम्बू सुदर्शना के दक्षिण दिशा के भवन के पूर्व में और दक्षिण पूर्व के प्रासादावतंसक के पश्चिम में एक विशाल कूट है इसी तरह दक्षिण के भवन के पश्चिम में और दक्षिण-पश्चिम प्रासादावतंसक के पूर्व में एक विशाल कूट है। उस जंबू सुदर्शना के पश्चिमी भवन के दक्षिण में और दक्षिण पश्चिम के प्रासादावतंसक के उत्तर में एक विशाल कूट है उसका प्रमाण वही है यावत् वहां सिद्धायतन है।
उस जंबू-सुदर्शना के पश्चिमी भवन के उत्तर में और उत्तर पश्चिम के प्रासादावतंसक के दक्षिण में एक विशाल कूट है वही प्रमाण है यावत् वहां सिद्धायतन है। उस जंबू सुदर्शना के उत्तर दिशा के भवन के पश्चिम में और उत्तर पश्चिम के प्रासादावतंसक के पूर्व में एक विशाल कूट है आदि वर्णन कहना चाहिये यावत् वहां सिद्धायतन है। उस जंबू सुदर्शना के उत्तर दिशा के भवन के पूर्व में और उत्तर
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