Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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जीवाजीवाभिगम सूत्र
पुरमंदरमावासा कूडा णक्खत्तचंदसूरा य। एवं भाणियव्वं ॥१६६॥ भावार्थ - असंख्यात द्वीप और समुद्रों में से कितनेक द्वीपों और समुद्रों के नाम इस प्रकार हैं -
जंबूद्वीप, लवण समुद्र, धातकीखंडद्वीप, कालोदधि समुद्र, पुष्करवरद्वीप, पुष्करवर समुद्र, वारुणिवरद्वीप, वारुणिवर समुद्र, क्षीरवरद्वीप, क्षीरवर समुद्र, घृतवरद्वीप, घृतवर समुद्र, इक्षुवरद्वीप, इक्षुवर समुद्र, नंदीश्वरद्वीप, नंदीश्वर समुद्र, अरुणवरद्वीप, अरुणवर समुद्र, कुण्डलद्वीप, कुण्डल समुद्र, रुचकद्वीप, रुचक समुद्र, आभरणद्वीप, आभरण समुद्र, वस्त्रद्वीप, वस्त्र समुद्र, गंधद्वीप, गंध समुद्र, उत्पलद्वीप, उत्पल समुद्र, तिलकद्वीप, तिलक समुद्र, पृथ्वीद्वीप, पृथ्वी समुद्र, निधिद्वीप, निधि समुद्र, रत्नद्वीप, रत्न समुद्र, वर्षधरद्वीप, वर्षधर समुद्र, द्रहद्वीप, द्रह समुद्र, नंदीद्वीप, नंदी समुद्र, विजयद्वीप, विजय समुद्र, वक्षस्कारद्वीप, वक्षस्कार समुद्र, कपिद्वीप, कपि समुद्र, इन्द्रद्वीप, इन्द्र समुद्र, पुरद्वीप, पुर समुद्र, मन्दर द्वीप, मन्दर समुद्र, आवास द्वीप, आवास समुद्र, कूट द्वीप, कूट समुद्र, नक्षत्र द्वीप, नक्षत्र समुद्र, चन्द्र द्वीप, चन्द्र समुद्र, सूर्य द्वीप, सूर्य समुद्र इत्यादि अनेक नाम वाले द्वीप और समुद्र हैं।
विवेचन - यहां पर उपर्युक्त मूल गाथाओं में से पहली गाथा में 'कालोद' शब्द तक तो एक द्वीप एक समुद्र के हिसाब से अनुक्रम से नाम जानना चाहिये। इसके बाद पुक्खरे' शब्द से 'गंदी' शब्द तक . उस उस नाम के क्रमशः एक द्वीप, एक समुद्र (जैसे पुष्करवर द्वीप, पुष्करवर समुद्र इत्यादि) के हिसाब से जानना चाहिये। इसके बाद 'अरुणवरे, कुण्डले, रुयगे' इन तीन शब्दों से क्रमशः तीनों में त्रिप्रत्ययावतार करके द्वीप समुद्रों के नाम जानने चाहिये। जैसे - अरुण द्वीप, अरुण समुद्र, अरुणवर द्वीप, अरुणवर समुद्र, अरुणवराभास द्वीप, अरुणवराभास समुद्र आदि। ___आगे की गाथाओं में जो नाम दिये हैं वे उन उन वस्तुओं के जितने प्रकार होवे उतने प्रकारों को त्रिप्रत्ययावतार करके द्वीप समुद्रों के नाम जानने चाहिये। ____एक एक परिपाटी में संख्याता नाम आते हैं उन सब नामों में सबसे अन्त में सूर्य नाम के त्रिप्रत्ययावतार करके सर्यवराभास द्वीप. सर्यवराभास समद्र नाम जानना चाहिये। इस प्रकार की असंख्याता परिपाटियां समझनी चाहिये। सब परिपाटियां पूरी होने के बाद अन्त में पांच नामों वाले द्वीप समुद्रों को एक एक नाम से जानना चाहिये। वे पांच नाय इस प्रकार हैं - देव द्वीप, देव समुद्र, नाग द्वीप, नाग समुद्र, यक्ष द्वीप, यक्ष समुद्र, भूत द्वीप, भूत समुद्र और स्वयंभूरमण द्वीप, स्वयंभूरमण समुद्र।
देवद्वीप आदि में चन्द्र द्वीप आदि कहि णं भंते! देवद्दीवगाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पण्णत्ता? गोयमा! देवदीवस्स देवोदं समुदं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता तेणेव कमेण
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