Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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पंचम प्रतिपत्ति- अल्पबहुत्व
पृथ्वीकायिक अपकायिक वायुकायिक के अपर्याप्तक क्रम से विशेषाधिक हैं क्योंकि वे प्रभूत, प्रभूततर हैं प्रभूततम असंख्यात लोकाकाश प्रदेश राशि प्रमाण हैं। उनसे तेजस्कायिक पर्याप्तक संयतगुणा क्योंकि सूक्ष्मों में अपर्याप्तकों से पर्याप्तक संख्यातगुणा हैं। उनसे पृथ्वीकायिक अप्कायिक वायुकायिक पर्याप्त क्रम से विशेषाधिक हैं। उनसे वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक अनंतगुणा हैं क्योंकि वे अनंत लोकाकाश प्रदेश राशि प्रमाण हैं। उनसे वनस्पतिकायिक पर्याप्तक संख्यातगुणा हैं क्योंकि सूक्ष्मों में अपर्याप्तकों से पर्याप्तक संख्यातगुणा हैं। सूक्ष्म जीव सर्व बहु हैं उनकी अपेक्षा से यह अल्पबहुत्व है। सूक्ष्म जीवों का स्वरूप
सुहुमस्स णं भंते! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?
गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं एवं जाव सुहुमणिओयस्स, एवं अपज्जत्तगाणवि पज्जत्तगाणवि जहण्णेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं ॥ २३० ॥ भावार्थ- प्रश्न हे भगवन्! सूक्ष्म जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
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उत्तर - हे गौतम! जघन्य से अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की स्थिति हैं । इसी प्रकार यावत् सूक्ष्म निगोद तक कह देना चाहिए। इसी प्रकार सूक्ष्मों के पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों की जघन्य . और उत्कृष्ट स्थिति भी अंतर्मुहूर्त्त प्रमाण ही है ।
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विवेचन प्रस्तुत सूत्र में सूक्ष्म जीवों की स्थिति का कथन किया गया है। सूक्ष्म जीवों के दो भेद हैं १. निगोद रूप सूक्ष्म जीव और २. अनिगोद रूप सूक्ष्म जीव । सभी सूक्ष्म जीवों की स्थिति जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त्त होती है और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त होती है किन्तु जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त से उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त विशेषाधिक होता है।
सूक्ष्म निगोद के अलावा सूक्ष्म पृथ्वीकाय, सूक्ष्म अप्काय, सूक्ष्म तेउकाय, सूक्ष्म वायुकाय और सूक्ष्म वनस्पतिकाय का समावेश अनिगोद रूप सूक्ष्म जीवों में होता है। इस प्रकार सूक्ष्म जीवों के छह भेद होते हैं ।
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शंका- सूक्ष्म वनस्पति निगोद रूप ही है फिर सूक्ष्म निगोद का अलग भेद क्यों कहा गया है ? समाधान - सूक्ष्म वनस्पति तो जीव रूप है और सूक्ष्म निगोद अनंत जीवों का आधारभूत शरीर है अतः दोनों भेद अलग-अलग कहे हैं ।
शंका- क्या सूक्ष्म निगोद पूरे लोक में है ?
समाधान
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• काजल से भरी हुई डिब्बी की तरह यह सारा लोक सूक्ष्म निगोद से सब ओर से
ठसाठस भरा हुआ है ।
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शंका- एक निगोद में कितने जीव कहे गये हैं ?
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