Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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जीवाजीवाभिगम सूत्र
गोयमा! घणवायपइट्टिया पण्णत्ता । लंतए णं भंते! पुच्छा, गोयमा ! तदुभयपइट्ठिया० । महासुक्कसहस्सारेसुवि तदुभयपइट्ठिया । आणय जाव अच्चुएसु णं भंते! कप्पेसु पुच्छा, गोयमा ! ओवासंतरपट्ठिया० । गेविज्जविमाणपुढवीणं पुच्छा, गोयमा ! ओवासंतरपइट्ठिया० । अणुत्तरोववाइयपुच्छा, ओवासंतरपट्टिया ॥ २०९॥
कठिन शब्दार्थ - किंपइट्टिया किसके आधार पर रही हुई, घणोदहिपट्ठिया घनोदधि प्रतिष्ठित, घणवायपइट्टिया - घनवात प्रतिष्ठित, ओवासंतर पइट्ठिया आकाश प्रतिष्ठित ।
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भावार्थ - प्रश्न हे भगवन् ! सौधर्म और ईशान कल्प की विमान पृथ्वी किसके आधार पर रही हुई है ?
उत्तर - हे गौतम! सौधर्म और ईशान कल्प की विमान पृथ्वी घनोदधि के आधार पर रही हुई है। सनत्कुमार और माहेन्द्र की विमान पृथ्वी किस आधार पर रही हुई है ? हे गौतम! सनत्कुमार और माहेन्द्र की विमान पृथ्वी घनवात पर टिकी हुई है। ब्रह्मलोक विमान पृथ्वी किस पर प्रतिष्ठित है ? हे गौतम ! घनवात पर प्रतिष्ठित है। लान्तक विमान पृथ्वी विषयक पृच्छा? हे गौतम! लान्तक विमान पृथ्वी घनोदधि और घनवात पर प्रतिष्ठित है। महाशुक्र और सहस्रार विमान पृथ्वी भी घनोदधि और घनवातदोनों के आधार पर रही हुई है।
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कहा है -
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प्रश्न - हे भगवन् ! आनत यावत् अच्युत विमान पृथ्वी किस पर टिकी हुई है ?
उत्तर - हे गौतम! नौवें से लगा कर बारहवें देवलोक तक चारों देवलोक आकाश पर प्रतिष्ठित हैं। ग्रैवेयक विमान पृथ्वी विषयक पृच्छा ? हे गौतम! ग्रैवेयक विमान आकाश प्रतिष्ठित हैं। अनुत्तर विमान विषयक प्रश्न ? अनुत्तर विमान भी आकाश प्रतिष्ठित हैं।
विवेचन - इन देवलोकों के विमान किस आधार पर रहे हुए हैं। इसके लिए संग्रहणी गाथा में
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घणोदहि पट्टाणा सुरभवणा दोसु कप्पेसु । तिसुवायपट्टाणा तदुभय पइट्टिया तिसु ॥ १॥ तेण परं उवरिमगा आगासंतर पइट्टिया सव्वे । " एस पट्टा विही उड्ड लोए विमाणाणं ॥ २॥
पहला दूसरा देवलोक घनोदधि पर, तीसरा चौथा पांचवां देवलोक घनवात पर, छठा सातवां आठवां देवलोक घनोदधि-घनवात उभय प्रतिष्ठित, नौवां, दसवां ग्यारहवां बारहवां देवलोक, नवग्रैवेयक और अनुत्तर विमान आकाश प्रतिष्ठित हैं।
देवलोक के प्रत्येक प्रतर के नीचे अलग-अलग घनोदधि आदि है। अतः पांचवें देवलोक के
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