Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तृतीय प्रतिपत्ति - चन्द्र सूर्य वर्णन
२५९
ज्योतिषराज चन्द्र चन्द्रावतंसक विमान में यावत् चन्द्र सिंहासन पर यावत् भोगोपभोग भोगने में समर्थ नहीं है। इसलिये ऐसा कहा गया है कि ज्योतिषराज चन्द्र चन्द्रावतंसक विमान में सुधर्मा सभा में चन्द्रसिंहासन पर अपने अन्तःपुर के साथ दिव्य भोगोपभोग भोगने में समर्थ नहीं है।
हे गौतम! दूसरी बात यह है कि ज्योतिषराज चन्द्र चन्द्रावतंसक विमान में सुधर्मा सभा में चन्द्र सिंहासन पर अपने चार हजार सामानिक देवों यावत् सोलह हजार आत्मरक्षक देवों तथा अन्य बहुत से ज्योतिषी देवों और देवियों के साथ घिरा हुआ जोर जोर से बजाये गये नृत्य में, गीत में, वादिन्त्रों के तन्त्री, तल, ताल के त्रुटित, घन और मृदंग के बजाने से उत्पन्न शब्दों से दिव्य भोगों को भोगने में समर्थ हैं किंतु अपने अन्त:पुर के साथ मैथुन बुद्धि से भोग भोगने में वह समर्थ नहीं है।
सूरस्स णं भंते! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ?
गोयमा! चत्तारि अग्गंमहिसीओ पण्णत्ताओ, तंजहा-सूरप्पभा आयवाभा अच्चिमाली पभंकरा, एवं अवसेसं जहा चंदस्सं णवरिं सूरवडिंसए विमाणे सूरंसि सीहासणंसि, तहेव सव्वेसिपि गहाईणं चत्तारि अग्गमहिसीओ० तंजहा-विजया वेजयंती जयंती अपराजिया तेसिंपि तहेव॥२०४॥ .. भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! ज्योतिष्केन्द्र ज्योतिषराज सूर्य की कितनी अग्रमहिषियां हैं?
उत्तर - हे गौतम! ज्योतिष्केन्द्र ज्योतिषराज सूर्य की चार अग्रमहिषियां हैं वे इस प्रकार हैं - सूर्यप्रभा, आतपाभा, अर्चिमाली और प्रभंकरा। शेष सारा वर्णन चन्द्र के समान समझ लेना चाहिये किंतु विशेषता यह है कि यहां सूर्यावतंसक विमान में सूर्य सिंहासन कहना चाहिये। उसी प्रकार ग्रह आदि की भी चार अग्रमहिषियां हैं। यथा - विजया, वेजयंती, जयंती और अपराजिता। शेष सारी वक्तव्यता पूर्ववत् कहनी चाहिये।
. चंदविमाणे णं भंते! देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? एवं जहा ठिईपए तहा भाणियव्वा जाव ताराणं॥२०५॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! चन्द्र विमान में देवों की स्थिति कितनी कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! प्रज्ञापना सूत्र के स्थिति पद के अनुसार तारारूप तक सभी की स्थिति का . कथन कर देना चाहिये। .. विवेचन - प्रज्ञापना सूत्र के स्थिति पद में ज्योतिषी देवों की स्थिति इस प्रकार कही गयी है - . चन्द्र विमान में चन्द्र, सामानिक देव तथा आत्मरक्षक देवों की जघन्य स्थिति पाव पल्योपम और
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