Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
२६४
जीवाजीवाभिगम सूत्र •••••••••••••••••••••rrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr................. की देवियों की स्थिति दो पल्योपम की और बाह्य परिषद् की देवियों की स्थिति एक पल्योपम की है। समिता, चण्डा और जाया परिषद् का अर्थ वही है जो भवनवासी देवों के चमरेन्द्र के विषय में कहा है।
कहि णं भंते! ईसाणगाणं देवाणं विमाणा पण्णत्ता? तहेव सव्वं जाव ईसाणे एत्थ देविंदे देव० जाव विहरइ। ईसाणस्स णं भंते! देविंदस्स देवरण्णो कइ परिसाओ पण्णत्ताओ? ___ गोयमा! तओ परिसाओ पण्णत्ताओ, तंजहा - समिया चंडा जाया, तहेव सव्व णवरं अन्भिंतरियाए परिसाए दस देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ, मज्झिमियाए परिसाए बारस देवसाहस्सीओ०, बाहिरियाए० चउद्दस देवसाहस्सीओ०, देवीणं पुच्छा, अब्भिंतरियाए० णव देवीसया पण्णत्ता मज्झिमियाए परिसाए अट्ठ देवीसया पण्णत्ता बाहिरियाए परिसाए सत्त देवीसया पण्णत्ता, देवाणं ठिईपुच्छा, अब्भिंतरियाए परिसाए देवाणं सत्त पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता मज्झिमियाए० छ पलिंओवमाइं० बाहिरियाए० पंच पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। देवीणं पुच्छा, अभिंतरियाए० साइरेगाई पंचपलिओवमाइं०, मज्झिमियाए परिसाए चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता, बाहिरियाए परिसाए तिण्णि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता, अट्ठो तहेव भाणियव्वाओ॥
भावार्थ - हे भगवन् ! ईशान कल्प के देवों के विमान कहां कहे गये हैं आदि सारी वक्तव्यता सौधर्म कल्प के समान समझना चाहिये। विशेषता यह है कि वहां ईशान नामक देवेन्द्र देवराज आधिपत्य करता हुआ विचरता है।
प्रश्न - हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज ईशान की कितनी परिषदाएं कही गई हैं?
उत्तर - हे गौतम! ईशानेन्द्र की तीन प्रकार की परिषदाएं कही गई हैं। यथा - समिता, चंडा और जाया। शेष कथन पूर्वानुसार कह देना चाहिये। विशेषता यह है कि आभ्यंतर परिषद् में दस हजार देव, मध्यम परिषद् में बारह हजार देव और बाह्य परिषद् में चौदह हजार देव हैं। आभ्यंतर परिषद् में नौ सौ देवियां, मध्यम परिषद् में आठ सौ देवियां और बाह्य परिषद् में सात सौ देवियां होती हैं।
प्रश्न - हे भगवन् ! ईशान कल्प के देवों की स्थिति कितनी कही गई हैं ?
उत्तर - हे गौतम! ईशान कल्प के आभ्यंतर परिषद् के देवों की स्थिति सात पल्योपम की, मध्यम परिषद् के देवों की स्थिति छह पल्योपम की और बाह्य परिषद् के देवों की स्थिति पांच पल्योपम की है।
देवियों की स्थिति विषयक प्रश्न?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org