Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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जीवाजीवाभिगम सूत्र
हजार योजन के लम्बे चौड़े हैं। इनकी परिधि, भूमिभाग, प्रासादावतंसक, मणिपीठिका, सपरिवार सिंहासन, नाम प्रयोजन, राजधानियां आदि पूर्वानुसार समझ लेना चाहिये। वे राजधानियां अपने-अपने द्वीपों से पूर्व दिशा में अन्य धातकीखंड द्वीप में हैं। शेष सारी वक्तव्यता पूर्ववत् है। इसी प्रकार धातकीखंड के सूर्यद्वीपों के विषय में भी समझना चाहिये। विशेषता यह है कि धातकीखंड की पश्चिमी वेदिकान्त से कालोदधि समुद्र में बारह हजार योजन जाने पर ये द्वीप आते हैं। इन सूर्यों की राजधानियां सूर्य द्वीपों के पश्चिम में असंख्य द्वीप समुद्रों को पार करने पर अन्य धातकीखंड द्वीप में हैं आदि सारा वर्णन पूर्वानुसार समझना चाहिये।
विवेचन - धातकीखंड में १२ चन्द्र और १२ सूर्य हैं। अतः इनके चन्द्रद्वीप और सूर्यद्वीप भी इतने ही है। प्रस्तुत सूत्र में धातकीखंड द्वीपगत चन्द्रद्वीपों और सूर्यद्वीपों का वर्णन किया गया है।
कालोदधि समुद्र के चन्द्रद्वीपों आदि का वर्णन कहि णं भंते! कालोयगाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पण्णता?
गोयमा! कालोयसमुदस्स पुरच्छिमिल्लाओ वेइयंताओ कालोयण्णं समदं पच्चत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं कालोयगचंदाणं चंददीवा० सव्वओ समंता दो कोसा ऊसिया जलंताओ सेसं तहेव जाव रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पुरच्छिमेणं अण्णंमि कालोयगसमुद्दे बारस जोयणसहस्साइं तं चेव सव्वं जाव चंदा देवा २। एवं सूराणवि, णवरं कालोयगपच्चथिमिल्लाओ वेइयंताओ कालोयसमुद्दपुरच्छिमेणं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता तहेव रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पच्चत्थिमेणं अण्णमि कालोयगसमुद्दे तहेव सव्वं। एवं पुक्खरवरगाणं चंदाणं पुक्खरवरस्स दीवस्स पुरथिमिल्लाओ वेइयंताओ पुक्खरसमुहं बारस जोयणसहस्साइं
ओगाहित्ता चंददीवा अण्णमि पुक्खरवरे दीवे रायहाणीओ तहेव। एवं सूराण वि दीवा पुक्खरवरदीवस्स पच्चथिमिल्लाओ वेइयंताओ पुक्खरोदं समुदं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता तहेव सव्वं जाव रायहाणीओ दीविल्लागाणं दीवे समुद्दगाणं समुद्दे चेव एगाणं अभिंतरपासे एगाणं बाहिरपासे रायहाणीओ दीविल्लगाणं दीवेसु समुद्दगाणं समुद्देसु सरिसणामएसु॥ १६५॥
भावार्थ - हे भगवन्! कालोदधि समुद्र के चन्द्रों के चन्द्रद्वीप कहां हैं? हे गौतम! कालोदधि समुद्र के पूर्वीय वेदिकान्त से कालोदधि समुद्र के पश्चिम में बारह हजार
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