Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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जीवाजीवाभिगम सूत्र
कहि णं भंते! सिवगस्स वेलंधरणागरायस्स दओभासणामे आवासपव्वए पण्णत्ते ? गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दक्खिणेणं लवणसमुद्दं बायालीसं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं सिवगस्स वेलंधरणागरायस्स दओभासे णामं आवासपव्वए पण्णत्ते, तं चेव पमाणं जं गोथूभस्स, णवरि सव्वअंकामए अच्छे पडिरूवे जाव अट्ठो भाणियव्वो, गोयमा ! दओभासे णं आवासपव्वए लवणसमुद्दे अट्ठजोयणियखेत्ते दगं सव्वओ समंता ओभासेइ उज्जोवेइ तवेइ पभासेड़ सिवए इत्थ देवे महिड्डिए जाव रायहाणी से दक्खिणेणं सिविगा दओभासस्स सेसं तं चेव ॥
भावार्थ - हे भगवन्! शिवक वेलंधर नागराज का दकाभास नामक आवास पर्वत कहां कहा गया है ? हे गौतम! जंबूद्वीप के मेरु पर्वत के दक्षिण में लवण समुद्र में बयालीस हजार (४२०००) योजन आगे जाने पर शिवक वेलंधर नागराज का दकाभास नाम का आवास पर्वत है । गोस्तूप आवास पर्वत के समान ही इसका प्रमाण है। विशेषता यह है कि यह सर्व अंक रत्नमय है, स्वच्छ यावत् प्रतिरूप है। यावत् यह दकाभास क्यों कहा जाता है ?
हे गौतम! लवण समुद्र में दकाभास नामक आवास पर्वत आठ योजन के क्षेत्र में पानी को सब ओर अति विशुद्ध अंक रत्नमय होने से अपनी प्रभा से अवभासित करता है, उद्योतित करता है, तापित... करता है, चमकाता है तथा शिवक नाम का महर्द्धिक देव यहां रहता है इसलिये यह दकाभास कहा जाता है यावत् शिवका राजधानी का आधिपत्य करता हुआ विचरता है । वह शिवका राजधानी दकाभास पर्वत के दक्षिण में अन्य लवण समुद्र में है आदि कथन विजया राजधानी की तरह कह देना चाहिये ।. कहि णं भंते! संखस्स वेलंधरणागरायस्स संखे णामं आवासपव्वए षण्णत्ते ?
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गोमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं लवणसमुद्दं बायालीसं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं संखस्स वेलंधरणागरायस्स संखे णामं आवास पव्वए पण्णत्ते । तं चेव पमाणं णवरं सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे । से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं जाव अट्ठो बहूओ खुड्डाखुड्डियाओ जाव बहूई उप्पलाई संखप्पभाई संखवण्णाई संखवण्णप्पभाई संखे एत्थ देवे महिड्डिए जाव रायहाणीए पच्चत्थिमेणं संखस्स आवासपव्वयस्स संखा णाम रायहाणी तं चेव पमाणं ॥
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भावार्थ - हे भगवन्! शंख नामक वेलंधर नागराज का शंख नामक आवास पर्वत कहां कहा गया है ? हे गौतम! जंबूद्वीप के मेरु पर्वत के पश्चिम में बयालीस हजार योजन आगे जाने पर शंख वेलंधर नागराज का शंख नामक आवास पर्वत है। उसका प्रमाण गोस्तूप की तरह है । विशेषता यह है कि यह
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