Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तृतीय प्रतिपत्ति- जम्बूद्वीप, जम्बूद्वीप क्यों कहलाता है ?
उत्तरकुरु क्षेत्र में छह प्रकार के मनुष्य पैदा होते हैं । वे इस प्रकार हैं १. पद्म गंध २. मृगगंध ३. अमम ४. सह ५. तेयालीस (तेजस्वी) और ६. शनैश्चारी ।
विवेचन - उत्तरकुरु क्षेत्र के स्वरूप वर्णन के लिये सूत्रकार ने एकोरुक द्वीप की भलामण दी है। अंतर इतना है कि - उत्तरकुरु के मनुष्य की ऊंचाई तीन कोस (६००० धनुष) है, उनके २५६ पसलियां होती है, उन्हें तीन दिन के अंतर से आहार की इच्छा होती है उनकी स्थिति जघन्य पल्योपम के असंख्यातवां भाग कम तीन पल्योपम और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की होती है। वे ४९ दिन तक युगल की पालना करते हैं। शेष वर्णन एकोरुक द्वीप के मनुष्य के समान है। वहां जाति भेद से पद्मगंध आदि छह प्रकार के मनुष्य रहते हैं
१. पद्मगंध - कमल जैसी सुगन्ध ।
२. मृग गंध - कस्तुरी जैसी गंध ।
३. अमम - ममत्व रहित ।
४. सह - सहनशील ।
५. तेयालीस - तेजस्वी ।
६. शनैश्चारी - मंद गति से चलने वाले ।
उपर्युक्त छह प्रकारों में से प्रत्येक मनुष्य में पांच-पांच प्रकार ही पाते हैं। पहले दूसरे में से कोई एक होता है ।
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कहि णं भंते! उत्तर कुराए जमगा णामं दुवे पव्वया पण्णत्ता ?
गोयमा ! णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं अट्ठचोत्तीसे जोयणसए चत्तारि य सत्तभागे जोयणस्स अबाहाए सीयाए महाणईए ( पुव्वपच्छिमेणं) उभओ कूले, इत्थ णं उत्तरकुराए २ जमगा णामं दुवे पव्वया पण्णत्ता, एगमेगं जोयणसहस्सं उड्डुं उच्चत्तेणं अड्डाइज्जाइं जोयणसयाणि उव्वेहेणं मूले एगमेगं जोयणसहस्सं आयामविक्खंभेणं मज्झे अद्धट्ठमाइं जोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं उवरिं पंचजोयणसयाई आयामविक्खंभेणं मूले तिणिण जोयणसहस्साई एगं च बावट्ठि जोयणसयं किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं मज्झे दो जोयणसहस्साइं तिण्णि य बावत्तरे जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते उवरि पण्णरस एक्कासीए जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते, मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिया सव्वकणगामया अच्छा सण्हा जाव पडिरूवा पत्तेयं पत्तेयं
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