Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तृतीय प्रतिपत्ति - विजयदेव का उपपात और उसका अभिषेक ९९ ............rrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrror देवा वुक्कारेंति, अप्पेगइया देवा थक्कारेंति, अप्पेगइया देवा पुक्कारेंति, अप्पेगइया देवा णामाइं सावेंति, अप्पेगइया देवा हक्कारेंति वुक्कारेंति थक्कारेंति पुक्कारेंति णामाइं सावेंति, अप्पेगइया देवा उप्पयंति, अप्पेगइया देवा णिवयंति, अप्पेगइया देवा परिवयंति, अप्पेगइया देवा उप्पयंति, णिवयंति परिवयंति, अप्पेगइया देवा जलेंति, अप्पेगइया देवा तवंति, अप्पेगइया देवा पतवंति, अप्पेगइया देवा जलंति तवंति पतवंति, अप्पेगइया देवा गज्जेंति, अप्पेगइया देवा विज्जुयायंति, अप्पेगइया देवा वासंति, अप्पेगइया देवा गज्जंति विज्जुयायंति वासंति, अप्पेगइया देवा देवसण्णिवायं करेंति, अप्पेगइया देवा देवुक्कलियं करेंति, अप्पेगइया देवा देवकहकहं करेंति, अप्पेगइया देवा देवदुहदुहं करेंति, अप्पेगइया देवा देवसण्णिवायं देवउक्कलियं देवकहकहं देवदहदुहं करेंति, अप्पेगइया देवा देवुज्जोयं करेंति, अप्पेगइया देवा विज्जुयारं करेंति, अप्पेगइया देवा चेलुक्खेवं करेंति, अप्पेगइया देवा देवुज्जोयं विज्जुयारं चेलुक्खेवं करेंति, अप्पेगइया देवा उप्पलहत्थगया जाव सहस्सपत्त हत्थगया घंटाहत्थगया कलसहत्थगया जाव धूवकडुच्छुहत्थगया हट्ठतुट्ठ जाव हरिसवसविसप्पमाणहियया विजयाए रायहाणीए सव्वओ समंता आधाति परिधावेंति॥ ___कठिन शब्दार्थ - पीणंति - पीन बना लेते हैं-फूला देते हैं, अप्फोडंति - आस्फोटन भूमि पर पैर फटकारना करते हैं, वग्गंति - वल्गन (कूदना) करते हैं, तिवई - त्रिपदी, छिंदेति - छेदन (ताल ठोकना) करते हैं, चेल्लुक्खेवं - चेलोत्क्षेप-वस्त्रों को हवा में फहराना, हरिसवसविसप्पमाणहियया - हर्ष के कारण विकसिंत हृदय वाले।
भावार्थ - कोई देव स्वयं को स्थूल (पीन) बना लेते हैं - फूला लेते हैं, कोई देव ताण्डव नृत्य करते हैं, कोई देव लास्य नृत्य करते हैं, कोई देव छु-छु करते हैं, कोई देव उक्त चारों क्रियाएं करते हैं कोई देव आस्फोटन करते हैं, कोई देव वल्गन करते हैं, कोई देव त्रिपदी छेदन करते हैं, कोई देव उक्त तीनों क्रियाएं करते हैं, कोई देव घोड़े की तरह हिनहिनाते हैं, कोई देव हाथी की तरह गुड़गुड़ आवाज करते हैं, कोई रथ की आवाज की तरह आवाज निकालते हैं, कोई देव उक्त तीनों प्रकार की आवाजें निकालते हैं, कोई देव उछलते हैं, कोई देव विशेष रूप से उछलते हैं, कोई देव छलांग लगाते हैं, कोई देव उक्त तीनों क्रियाएं करते हैं। कोई देव सिंहनाद करते हैं, कोई देव भूमि पर पांव से आघात करते हैं कोई देव भूमि पर हाथ से प्रहार करते हैं। कोई देव उक्त तीनों क्रियाएं करते हैं। कोई देव हक्कार करते हैं, कोई देव वुक्कार करते हैं, कोई देव थक्कार करते हैं, कोई देव फुक्कार करते हैं, कोई देव नाम
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