Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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जीवाजीवाभिगम सूत्र
कनकमयी हैं, उनकी ग्रीवा कनकमयी है, उनकी मूछे रिष्टरत्न की हैं, उनके होठ प्रवाल रत्न के हैं, उनके दांत स्फटिक रन के हैं, तपनीय स्वर्ण की जिह्वाएं हैं, तपनीय स्वर्ण के तालु हैं, कनकमयी उनकी नासिका हैं, जिसका मध्यभाग लोहिताक्ष रत्नों की ललाई से युक्त हैं, उनकी आंखें अंकरत्न की है, उनका मध्यभाग लोहिताक्ष रत्न की ललाई युक्त है, उनकी दृष्टि पुलकित-प्रसन्न है, उनकी आंखों की कीकी रिष्टरत्नों की हैं, उनकी अक्षिपत्र रिष्टरत्नों के हैं, उनकी भौंहें रिष्ट रत्नों की हैं, उनके गाल स्वर्ण के हैं, उनके कान स्वर्ण के हैं, उनके ललाट कनकमय हैं, उनके शीर्ष गोल वज्ररत्न के हैं, केशों की भूमि तपनीय स्वर्ण की है और केश रिष्ट रत्नों के बने हुए हैं।
तासि णं जिणपडिमाणं पिट्टओ पत्तेयं पत्तेयं छत्तधारपडिमाओ पण्णत्ताओ, ताओ णं छत्तधारपडिमाओ हिमरययकुंदेंदुसप्पगासाइं सकोरेंटमल्लदामधवलाई आतपत्ताइं सलीलं ओहारेमाणीओ चिटुंति॥ तासि णं जिणपडिमाणं उभओ पासिं पत्तेयं पत्तेयं चामरधारपडिमाओ पण्णत्ताओ, ताओ णं चामरधारपडिमाओ चंदप्पहवइरवेरुलियणाणामणिकणगरयणविमलमहरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तदंडाओ चिल्लियाओ संखंककुंददगरयअमयमहितफेणपुंजसण्णिगासाओ सुहुमरययदीहवालाओ धवलाओ चामराओ सलीलं ओहारेमाणीओ चिटुंति ॥ तासि णं जिणपडिमाणं पुरओ दो दो णागपडिमाओ दो दो जक्खपडिमाओ दो दो भूतपडिमाओ दो दो कुंडधारपडिमाओ विणओणयाओ पायवडियाओ पंजलिउडाओ संणिक्खित्ताओ चिट्ठति सव्वरयणामईओ अच्छाओ सण्हाओ लण्हाओ घट्ठाओ मट्ठाओ णीरयाओ णिप्पंकाओ जाव पडिरूवाओ॥
भावार्थ - उन जिन प्रतिमाओं के पीछे अलग अलग छत्रधारिणी प्रतिमाएं कही गई हैं। वे छत्रधारण करने वाली प्रतिमाएं लीलापूर्वक कोरंट पुष्प की मालाओं से युक्त हिम, रजत, कुंद और चन्द्र के समान श्वेत आतपत्रों-छत्रों को धारण किये हुए खड़ी है। उन जिन प्रतिमाओं के दोनों पार्श्वभाग में अलग अलग चंवर धारण करने वाली प्रतिमाएं कही गई हैं। वे चामरधारिणी प्रतिमाएं चन्द्रकांतमणि, वज्र, वैडूर्य आदि नाना मणिरत्नों व सोने से खचित और निर्मल बहुमूल्य तपनीय स्वर्ण के समान उज्ज्वल और विचित्र दंडों एवं शंख, अंकरत्न, कुंद, जलकण, चांदी एवं क्षीरोदधि (अमृत) को मथने से उत्पन्न फेनपुंज के समान सफेद सूक्ष्म और चांदी के दीर्घ बाल वाले धवल चामरों को लीलापूर्वक धारण करती हुई स्थित हैं।
उन जिन प्रतिमाओं के आगे दो दो नाग प्रतिमाएं, दो दो यक्ष प्रतिमाएं, दो दो भूतप्रतिमाएं, दो दो
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