________________ 22 1 देवदर्शनविधि . . लन करे / इस के बाद स्वच्छ अंगलूणों से यथाक्रम सब मूर्तियों को पोंछ कर स्वच्छ कर लेवे / पीछे केशर चंदन से पहले मूलनायक की, बाद दूसरे भगवान की नव अंगे पूजा करे / पूजा करते समय नीचे मुजब भावना के साथ एक एक दुहा बोलता जावे। पूजा के दोहेजल भरी संपुट पत्रमां, युगलिक नर पूजंत / ऋषभ चरण अंगुठडो, दायक भवजल अंत // 1 // . इस तरह बोल कर भगवान के दाहिने और बाये अंगूठे पूजा करे। .. जानुबले काउस्सग्ग रह्या, विचर्या देश विदेश / .खडा खडा केवल लघु, पूजो जानु नरेश // 2 // ऐसा बोल दोनों घुटनों की (गोडों की) पूजा करे / लोकांतिक वचने करी, वरस्या वरसीदान / कर कांडे प्रभु पूजना, पूजो भवि बहुमान // 3 // दोनों हाथों की पूजा करे। मान गयुं दोय अंसथी, देखी वीर्य अनंत / भुजा बले भव जल तर्या, पूजो खंध महंत // 4 // दोनों खंधो की पूजा करे।। सिद्धशिला गुण ऊजली, लोकांते भगवंत / वसिया तिण कारण भवि, शिरशिखा पूजंत // 5 // मस्तक पर पूजा करे।