Book Title: Jaganmohanlal Pandita Sadhuwad Granth
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Jaganmohanlal Shastri Sadhuwad Samiti Jabalpur
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श्री अतिशय क्षेत्र कुंडलपुर में स्थित श्री जैन उदासीन आश्रम के संस्थापक ७३
मोरैना के सिद्धान्त विद्यालय और बनारस के स्याद्वाद महाविद्यालय से स्नातक बनकर कटनी आने पर पंडित जगन्मोहनलालजी ने कटनी के जैन पाठशाला के संचालन का भार सम्हाला और मन-वचनकार्य से दत्तचित्त रहकर उस संस्था को प्रगति की ओर बढ़ाते हुए पाठशाला से आज जैन-शिक्षा-संस्था के रूप में परिणत कर दिया है।
आज इस संस्था के अन्तर्गत जैन संस्कृत महाविद्यालय चल रहा है, जिसमें जैन सिद्धान्त के ग्रन्थों के साथ न्याय, व्याकरण, साहित्य, आयुर्वेद और संस्कृत भाषा की शिक्षा दी जाती है। इसके साथ, शासन से मान्यता प्राप्त एक जैन मिडिल स्कूल, जैन माध्यमिक शाला और बालक-बालिकाओं के लिए जैन बालबोधनी पाठशाला का भी संचालन हो रहा है। पंडित जी अपने अभिभावक स्वर्गीय सवाई सिंघई जी के कुटुम्ब के प्रति पूर्ण सहानुभूति रखते हए कृतज्ञता के साथ उनके दान को सार्थक कर रहे हैं। आप अपनी व्रतीचर्या को पालते हए जैन समाज की अनेक भारतवर्षीय जैन सभाओं, परिषदों और गुरुकुलों आदि के अध्यक्ष, मंत्री आदि अधिकार के पद प्राप्त करके उनमें अपनी योग्यतापूर्वक सुचारु रूप से संचालन में योगदान दे रहे हैं।
पंडित जगन्मोहन लाल को अपने पूज्य पिता के आदर्श व्रती जीवन को आंशिक परंतु निर्दोष रूप में पालते हुए, तथा अपने पूज्य गुरुजनों तथा अभिभावकों द्वारा स्थापित किये हुए विद्यालय-छात्रावास आदि रूप वृक्ष को सम्हालने में व उसकी प्रगति करने में तल्लीन देखकर मेरा मन सदैव परम प्रसन्न रहता है। विश्ववन्द्य १००८ श्री वीर प्रभु से मेरी प्रार्थना और मनोकामना है कि मेरे प्रिय पंडित जगन्मोहन लाल को अपने परोपकारी कार्यों के करने में सदैव सबुद्धि और सहायता प्राप्त होती रहे ।
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