Book Title: Jaganmohanlal Pandita Sadhuwad Granth
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Jaganmohanlal Shastri Sadhuwad Samiti Jabalpur
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९८ पं० जगन्मोहनलाल शास्त्री साधुवाद ग्रन्थ
१९-२-५९
९-६-६० १-९-६० ८-७-६५ ९-१२-६५ १९-७-६२ २६-७-६२ २०-९-६२ ३-१-६३ ७-८-६९
सन्मति संदेश
सन्मति संदेश/जैन पथ प्रदर्शक
३८.
जैन सागर
३९.
२१-२२. जैनधर्म के सम्बन्ध में भ्रान्ति २३. श्रद्धा बनाम विवेक २४. दश धर्म २५. सम्यक चारित्र २६. शंका समाधान व रतनचंद्र मुख्तार
पाप और अज्ञान
शिथिलाचार का विरोध और समर्थन २९. निश्चय और व्यवहार ३०-३१. मूल जैनधर्म १, २ ३२. राजेन्द्र कुमार जी के वक्तव्य का उत्तर ३३. सृष्टि कर्तृत्व मीमांसा तथा जैन सिद्धांत के अनुसार जगत् का स्वरूप ३४. शुद्ध जल त्याग और नल का जल
क्या चतुर्थ-पंचम गुण स्थानवर्ती पहिरात्मा है?
शासन देवता पूजा क्या मिथ्यात्व नहीं है ? ३७. मिथ्यात्व की अकिंचित करता की समाप्ति
प्रक्षाल और अभिषेक भिन्न नहीं हैं
शास्त्रीय शंका समाधान ४०. जेन मत क्या जैन मत है ?
आत्मधर्म की प्राप्ति ही श्रेष्ठ पुरुषार्थ है आयारों में अचेलकत्व समयसार की राजमल की टीका क्या मिथ्यात्व बंध का कारण नहीं है ? तेरह पंथ का परिचय और उसकी क्रियायें षडक्रम एवं षगवश्यक कर्म में अचित्त देवपूजा
तेरह पंथ क्या है ? ४८. समयसार का वास्तविक अध्येता कौन ?
जैनागमों में आधुनिक वैज्ञानिक संकेत ५०. शास्त्रों का जल प्रवाह अज्ञानता है
मिथ्यात्व आदि पांचों प्रत्यय बंध के कारण हैं
कुंदकुंद द्वारा प्रतिपादित अमृतकुंभ और विसकुंभ ५३. नयातिक्रान्त आत्मतत्व ५४. आ० कुंदकंद द्वारा प्रतिपादित वस्तुतत्व
कर्म बंध और उसके कारणों पर विचार (ग) व्यक्तिगत १. नेताओं के वियोग का वर्ष
दानवीर साहू शांतिप्रसाद जी
४१.
महासभा बुलैटिन सन्मति वाणी सन्मति संदेश
४२.
४४.
४५. ४६.
सन्मति संदेश जैन संदेश'८२ स० सं० '८२
४७.
बंबई गोष्ठी
वीर वाणी
५२.
१२-५-६० जैन संदेश, २२-९-६०
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