Book Title: Jaganmohanlal Pandita Sadhuwad Granth
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Jaganmohanlal Shastri Sadhuwad Samiti Jabalpur
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२]
३. जेब काटना,
४. दूसरों के ताले को बिना स्वामी की आज्ञा के तोड़ना या खोलना,
५. मार्ग में चलते हुए को लूटना,
६. स्वामी का पता होते हुए किसी की पड़ी वस्तु लेने का त्याग ।
बी- अतिचार
१. चोर की चुराई वस्तु को लेना,
२. चोर को चोरी के लिये
देना या बेचना या चोर ३. राज्य निषिद्ध वस्तु का दूसरे राज्य में प्रवेश,
वर्तमान न्याय व्यवस्था का आधार : धामिक आचार संहिता ४१
उद्दापन ( धारा ४८४ से ३८९),
लूट या लूट का प्रयास (धारा ३९२ से ३९४), डकैतो या उसका प्रयास (धारा ३९२ से ३९७), चुराई हुई सम्पत्ति को जानते हुए प्राप्त करना ( धारा ४११ से ४१४),
७. खोटे बांट या माप का कपट पूर्वक प्रयोग करना या बनाना (धारा २६४ से २६७),
८. विक्रय के लिये आयातित तेल, खाद्य, औषध, भेषज, या पेय का अपमिश्रण ( धारा २७२ से २७६),
९. लोक जल स्रोत या जलाशय का जल कलुषित करना या वायु मण्डल को अपायकर बनाना (धारा २७७ से २७८ ) ।
४.
कूट तोल माप,
५. अपमिश्रण - सरस में नीरस या असली में नकली वस्तु का मिश्रण |
प्रेरणा देना, उपकरण की सहायता करना, व्यापार या उस हेतु
४. चतुर्थं ब्रह्मचर्य अणुव्रत
ए-वत
१. स्व स्त्री के साथ संभोग की मर्यादा,
२. परस्त्री, वेश्या, तिर्यंच, देवी देवता के साथ संभोग का त्याग ।
बी- अतिचार
१. कुछ समय के लिये अधीन की हुई स्त्री से गमन करना या अल्प वय वाली अपनी पत्नी से गमन करना या उस हेतु आलाप संलाप करना,
२. विवाहित पत्नी के सिवाय शेष स्त्रियों - वेश्या, अनाथ कन्या, विधवा, कुलवधु परस्त्री आदि परिगृहीता के साथ आलाप संलाप करना या मैथुन करना,
३. अप्राकृतिक मैथुन,
४. पराये विवाह कराना,
५. काम भोग तोव्र अभिलाषा से करना ।
६
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३.
४.
५.
६.
विशेष - भारतीय खाद्य अपमिश्रण अधिनियम में विशेष कठोर दण्ड देने का प्रावधान है ।
१. किसी स्त्री को विवाह करने के लिये विवश करने या भ्रष्ट करने के लिये अपहरण (धारा ३६६),
२.
अल्प वयस्क लड़को का उपायन (३६७),
३.
विदेश से लड़कियों का आयात निर्यात (३६६क), ४. बलात्कार
ए–१२ वर्ष से कम आयु की अपनी पत्नी के साथ संयोग,
बी - अन्य किसी स्त्री के साथ उसकी बिना इच्छा व सहमति के संभोग (धारा ३७६),
५.
६.
७. पति या पत्नी के जीवन काल में दूसरा विवाह
प्रकृतिविरुद्ध मैथुन (धारा ३७७ ),
प्रवचना पूर्वक विवाह ( धारा ४७३),
( धारा ४९४ ),
जार कर्म या व्यभिचार ( धारा ४९७, ४९८), ९. स्त्री की लज्जा भंग करने के लिये बल प्रयोग
८.
( धारा ३५४),
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