Book Title: Jaganmohanlal Pandita Sadhuwad Granth
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Jaganmohanlal Shastri Sadhuwad Samiti Jabalpur
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३]
आहार, जाति
१. अन्न, ग्राम
२. चीनी, गुड़
३. दाल
४. मूंगसली
५. पर्त्तदाल शाक
६. अन्य शाक
७. कन्दमूल
८. फल
९. दूध १०. घी / तल ११. योग
आहार, जाति
सारणी ३. प्रौढ़ों के लिये प्रस्तावित दुग्ध शाकाहारी आहार
भा०वि० अ० प०, १९८०
परिमाण
कं०
३६०
१३४०
३०
४०
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४०
दुग्ध शाकाहारी भोजन से है। फिर मो, पूर्व और पश्चिम इस
६०
५०
१५०
४०
१२०
१६०
६३%
२८%
--
२०
९५
३६०
८७० ग्राम २६६५ कं०
८%
२%
२५
५०
मूल्य
१.२०
०.२०
०.३०
०.१०
०.१५
०.१०
०.७५
१.००
३.८९
सारणी ४. विभिन्न प्रस्तावित भोजनों में ऊर्जा वितरण
सैद्धान्तिक, सारणी २ मा० चि० अ० प०
शाकाहारी आहारों से ऊर्जा २८३
६५%
१५%
६%
४%
पार्क और गोपालन
कं०
१६००
परिमाण
४००
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३०
७०
५०
१००
७५
७५
३०
२००
३५
१०६५
पार्क / गोपालन
६०%
१७%
१६
१२०
२८०
२५०
१. कार्बोहाइड्रेट
२. वसायें
३. प्रोटीन
४. शाक / फल आदि
द्वारा १९८० में प्रस्तावित आहार ऊर्जात्मक दृष्टि से ठीक हैं पर इसमें परम्परागत शाकाहार की अपूर्णता के पूरक के रूप में फल और फलियाँ समाहित नहीं हैं । सारणी ४ से यह भी स्पष्ट है कि इसका ऊर्जा वितरण भी संतोष जनक नहीं है ।
७%
५०
२५
७५
१५
१२०
३१५
२०५० कै०
मूल्य
१.००
०.२०
०.५०
०.५०
०.१५
०.२०
०.१५
०.१५
१.००
०.७५
४.६०
इसमें खनिज भी कम । पार्क ने गोपालन का अनुसरण कर इन दोनों ही दिशाओं में सुधार किया है। इस लेखक ने भी सारणी ५ में एक आहार योजना सुझाई है। यह न केवल मितव्ययो ही है, अपितु यह आहार के सभी घटकों की सन्तोषजनक रूप से पूर्ति करती है । यह आधारभूत सात घटकों को पूर्ण मितव्ययिता के रूप में समाहित करती है । यदि इसमें १०% श्रम व्यय मी जोड़ा जावे, तब भी यह मितव्ययी रहेगी। इस योजना का पूर्ण विश्लेषण सारणी ५ में दिया गया है। यह स्पष्ट है कि शाकाहारी खाद्य पूर्णतः पोषक होते हैं। विशेष आवश्यकता के अनुरूप इसके अन्न और फलियों की मात्रा में परिवर्तित कर इसे संबंधित किया जा सकता है ।
जैन
६०%
१४५%
२०%
६%
ऊर्जा और पोषक तत्वों की पर्याप्त पूर्ति का तथ्य अब निर्विवाद प्रमाणित हो चुका आहार तन्त्र को और भी प्रबलित करने का प्रयत्न कर रहे हैं। वे सोयाबीन,
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