Book Title: Jaganmohanlal Pandita Sadhuwad Granth
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Jaganmohanlal Shastri Sadhuwad Samiti Jabalpur
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सिद्धक्षेत्र कुण्डलगिरि
सिद्धान्ताचार्य पं. फूलचन्द शास्त्री हस्तिनापुर, उ० प्र०
भारतवर्ष आर्यावर्त का वह भाग है जहाँ से अवसर्पिणी के चौथे काल में और उत्सर्पिणी के तीसरे काल में अनन्तानन्त मुनि मोक्ष गये हैं, जाते रहते हैं और जाते रहेंगे । इसलिये इस देश के प्रायः सभी प्रदेशों में जैन सिद्ध क्षेत्रों का पाया जाना निश्चित है। इस काल में भगवान् महाबीर स्वामी के मोक्षगमन के अनन्तर गौतम स्वामी, सुधर्माचार्य और जम्बू स्वामी मोक्ष गये हैं । ये तीनों अनुबद्ध केवली थे । त्रिलोक प्रज्ञप्ति के उल्लेख से मालूम पड़ता है कि श्रीधर नाम के एक मुनिराज श्री कुण्डलगिरि से मोक्ष गये हैं । ये अननुबद्ध केवली थे । ये पूर्वोक्त तीन केवलियों से भिन्न हैं । त्रिलोक प्रज्ञप्ति का यह उल्लेख इस प्रकार हैं
(१) कुण्डलगिरिमि चरिमो केवलणाणीसु सिरिधरो सिद्धो ।
चारणरिसीसु चरिमो सुपासचन्दाभिधाणो य ॥। ४-१४७९ ॥
(२) त्रिलोक प्रज्ञप्ति के इस पाठ की पुष्टि प्राकृत निर्वाण भक्ति के " णिवणकुण्डली वन्दे" पाठ से भी होती है ।
इसी के अनुरूप संस्कृत निर्वाणभक्ति के निम्न श्लोक में भी कुण्डलगिरि को सिद्धक्षेत्र स्वीकार करते हुए वह गिरि कहाँ पर है, इसका भी भले प्रकार निदेश कर दिया गया है :
(३) द्रोणीमति प्रबलकुण्डलमेढ के च वैभारपर्वततले वरसिद्धकूटे ।
ऋष्याद्रिके च विपुलाद्रिबलाहके च, विन्ध्ये च पोदनपुरे वृषदोपके च ॥ २९ ॥
अर्थात् द्रोणीगिरि, कुण्डलगिरि, मुक्तागिरि, वैभारगिरि का तल भाग, सिद्धवरकूट, ऋषिगिरि, विपुलगिरि, वलाहकगिरि, विन्ध्य, पोदनपुर और वृषदीप में जो सिद्ध हुए, उनकी मैं वन्दना करता हूँ ।
इस पाठ में द्रोणगिरि और मुक्तागिरि के मध्य में कुण्डलगिरि का नाम आया है। कथन सोद्देश्य होना चाहिये। इससे निश्चित होता है कि इन दोनों गिरियों के मध्य में कहीं इस प्रकार उक्त तीन उल्लेखों से हम जानते हैं कि इनमें जिस कुण्डलगिरि को सिद्ध क्षेत्र स्वीकार किया गया है, वह यही कुण्डलगिरि है और श्रीधर मुनिराज यहीं से मोक्ष गये हैं ।
प्रवेश का निर्णय
आचार्य पूज्यपाद का यह कुण्डलगिरि अवस्थित है |
निर्वाण भक्ति के उक्त उल्लेख से यह तो निर्णय हो जाता है दमोह के पास का कुण्डलगिरि ही श्रीधर स्वामी का निर्वाण स्थान है । फिर भी, अन्य प्रमाणों से भी हम यह निर्णय करेंगे कि यह कुण्डलगिरि दमोह जिले में ही अवस्थित है या उसका अन्य प्रदेश में होना सम्भव है ।
पहले मध्यप्रदेश में दमोह के पास के सिद्धक्षेत्र को कुण्डलपुर कहा जाता था । इसलिए कुण्डलगिरि कहाँ पर है, यह विवाद का विषय बना हुआ था। अभी तक कुण्डलपुर नाम के चार स्थान स्वीकार किये जाते रहे हैं । उनमें
से प्रकृत कुण्डलपुर कहाँ पर है, उस पर यहाँ विचार किया जाता है ।
(१) जहाँ भगवान् महावीर स्वामी का जन्म हुआ था, उसका नाम तो वास्तव में कुण्डल ग्राम है किन्तु लोकभाषा में इसे कुण्डलपुर कहा जाता है। कुछ आचार्यों ने भी इसे कुण्डलपुर नाम से स्वीकार किया है ।
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