Book Title: Jaganmohanlal Pandita Sadhuwad Granth
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Jaganmohanlal Shastri Sadhuwad Samiti Jabalpur
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लेख-सूची ९७
३०.
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३१.
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३३. ३४.
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पन्थभेद समाप्त करने का उपाय २९. मंहगाई बनाम भ्रष्टाचार
महासभा का प्रस्ताव
सच्ची और खरी बातें ३२. त्यागधर्म की कठिनाइयाँ
मूर्तिपूजक होना गर्व की वस्तु आज द्रव्य ही सब कुछ है दोषी कौन : निंदक या अन्धभक्त
त्यागमार्ग के पथिकों से ३७. पर्व के पश्चात् ३८. वैराग्य या अनुराग
वैवाहिक समस्यायें ४०. जैनमात्र का उत्तरदायित्व ४१.
हमें अपना लोक-व्यवहार सुधारना चाहिये ४२-४३. समाज में शिक्षा की उपयोगिता ४४. द्रोणगिरि पर श्री ज्ञानचन्द्र जी का वक्तव्य ४५. विद्वानों की परम्परा का भविष्य
९-४-६१ १-१०-६४ २०-१२-६४ १०-११-६० २०-५-६१
१-२-६१ २४-४-५८ २२-१-५९ ३०-६-६० १५-९-६० २९-९-६० २१-६-६२ २२-११-६२ २९-११-६२
१९६९
३६.
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वर्णी अभि०
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(ब) संवान्तिक लेख १-३. मुमुक्षु और अमुमुक्षु
पुनर्जन्म के प्रकाश में साधु का स्वरूप द्रव्य दृष्टि : पर्याय दृष्टि क्या द्रव्यलिंगी और भावलिंगी की पहिचान अशक्य है? भाव एवं द्रव्य कषाय और धर्म चारों अनुयोगों के शास्त्र पठनीय हैं
सम्यक दृष्टि और मिथ्या दृष्टि की पहिचान १२. एकता या अनेकता जैनधर्म का अर्थ १३. धार्मिक सिद्धान्त और आधुनिक विज्ञान १४-१५. जैनधर्म बनाम हिन्दूधर्म १, २ १६. आचार्य कुंदकुंद का आम्नाय १७. आचार्य पद १८-१९. जिन भक्ति महात्म्य १,२ २०. वीतराग शासन में भेद का कारण : शिथिलाचार
१९६१ (जैन संदेश)
१-८-७४ २२-४-६६ २-७-६४ ९-७-६४ १७-९-६४ १९-१०-६४
१४-१-६५ १९-११-६० १४-६-६१ २०-५-६१ ५-१-६१
१०.
१९-६-५८ १८-१२-५८
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