Book Title: Jaganmohanlal Pandita Sadhuwad Granth
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Jaganmohanlal Shastri Sadhuwad Samiti Jabalpur
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३.
पंडित जगन्मोहन लाल शास्त्री : लेख-सूची
पंडित जी ने कितने लेख लिखे हैं, इसका उनके पास कोई रिकार्ड नहीं है और स्मरण भी नहीं है। संपादक मंडल को सन् १९५८ से ही उनके लेख प्राप्त हुए हैं। जिन सज्जनों को इसके पूर्व के उनके लेखों आदि जानकारी हो, वे कृपया साधुवाद समिति को सूचित करें। समिति उनकी आभारी होगी। उपलब्ध १६५ लेख को विषयवार वर्गीकृत कर यहां दिया जा रहा है। (क) सामाजिक समस्याओं पर लेख १.२. क्या कुदेव पूजा शास्त्र-विहित है ?
(जैन संदेश), ६।१३-६-५८ छात्र और छात्रवृत्तियाँ
१०-७-५८ रात्रि भोजन छोड़िये
२४-७-५८ बालिकाओं का स्तुत्य साहस
४-९-५८ समय रहते सावधान हो जाना हितकर है
२३-१०-५८ जबलपुर कांड पर एक दृष्टि
१९-३-५९ संत विनोबा का नया प्रयोग
१९-५-६० शास्त्र-भण्डारों को सम्हाल कर रखें
२६-५-६० उपगृहन अंग के नाम पर
१६-६-६० त्यागमार्ग के पथिकों से .
३०-६-६० दिल्ली का वीर सेवा मन्दिर
११-८-६० मुनियों के सेवकों से
६-१०-६० जैनों और हिन्दुओं में एकता
१३-१०-६० विद्वानों की स्थिति
३-११-६० जनगणना के सम्बन्ध में
२४-११-६० जातीयता का विष
८-११-६० विद्वानों का उत्तरदायित्व
१५-८-६० एकता और संगठन की बातें
२९-१२-६० जैनों से जैनधर्म छूटता जाता है
१९-१-६१ सार्वजनिक क्षेत्र में जैनों का रूप कैसा होना चाहिये
२६-१-६१ रात्रि भोजन बन्द कीजिये
१६.२-६१ विवाह नहीं, सौदे बाजी
९-३-६१ २४. शाकाहार के प्रचार की आवश्यकता
६-४-६१ संस्था और उनके व्यक्ति चौदह वर्ष बीत गये
१७-८-६१ २७. परवार समाज की कठिन समस्या-दहेज
१९.
२३.
२५.
२६.
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