Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
४६
भारत-भैषज्य रत्नाकरः
[शकारादि
-
तो घीको छान लें । एवं उसके ठण्डा होने पर यह घृत समस्त प्रकारके मूत्रकृच्छ, मूत्रदोष उसमें (७-७ तोले ) खांड, पीपल का चूर्ण शर्करा और अश्मरि को नष्ट करता है। और शहद मिला कर सुरक्षित रक्खें ।
(मात्रा-१ से २ तोले तक ।) यह घृत वृष्य है।
(७३६९) शतावरीघृतम् (१०) (७३६८) शतावरीघृतम् (९)
(वृ. यो. त. ।त. १२२; भै. र. । अम्ल( यो. र. । मूत्रकृन्छा. ; वृ. नि. र. । मूत्रकृच्छा.) पित्ता.; वृ. मा.; च. द.; व. से.; यो. र.; वृ. घृतपस्थं शतावर्या रसस्यार्धाकं पचेत । नि. र. । यो. त. । त. ६५) अजाक्षीरेण संयुक्तं चतुष्पस्थान्वितेन तु ॥ शतावरीमूलकल्कं घृतमस्य पयः समम् ।
पचेन्मृद्वग्निना सम्यक् क्षीरं दत्त्वा चतुर्गुणम् ॥ द्वि गोक्षुरामृतानन्ता काशकण्टकिनी रसान् । ..
' नाशयेदम्लपित्तश्च वातपित्तोद्भवान गदान् । कुडवा पृथग्दत्वा पिष्टैर्यष्टिकटुत्रयम् ॥
___ रक्तपित्तं तृषां मूछों श्वासं सन्तापमेव च ॥ श्वदंष्ट्राफलिनी दुग्धाशिलाजत्वश्मभेदकैः।
दक शतावरकी जड़ १० तोले, घी १ सेर, त्रिसुगन्धान्वितैरर्धपलांशैः सघृतं पुनः॥ पानी १ सेर और दूध ४ सेर ले कर सबको शर्करा द्विपलोपेतं क्षौदपादसमन्वितम् । एकत्र मिलाकर मन्दाग्नि पर पकावें । जब जलांश हन्ति कृच्छाणि सर्वाणि मूत्रदोषाश्मशर्कराः॥ शुष्क हो जाय तो धोको छान लें। सर्वकृच्छाणि हन्त्याशु एतच्छतावरीघृतम् ॥ इसे सेवन करनेसे अम्लपित्त, वातपित्तज - - घी २ सेर, शतावरका रस ४ सेर, बकरीका - रोग, रक्तपित्त, तृषा, मूर्छा, श्वास और सन्तापका दूध ८ सेर, छोटे और बड़े गोखरुका रस २०- नाश होता है २० तोले, तथा गिलोय, अनन्तमूल, कासकी जड़ (मात्रा-१ से २ तोले तक ।)
और कटेलीका रस २०-२० तोले एवं निम्न (७३७०) शतावरीघृतम् (११) लिखित कल्क एकत्र मिलाकर पकावें जब पानी : (व. से. । ग्रहण्य.; वृ. नि. र.) जल जाए तो घीको छान लें।
शतावरीचन्दनपत्रकोत्पलं कल्क-मुलैठी, सांठ, मिर्च, पीपल, गोखरु, मिया पाठा मगधास्थिराभिः। मेंहदी, क्षीरकाकोली, शिलाजीत्, पाषाणभेद, बिल्बाजमोशतिविषासमङ्गा दालचीनी, छोटी इलायची और तेजपात २||-२॥ जीवन्तीवह्नीन्द्रयवैः सुपिष्टः॥ तोले लेकर सबको एकत्र मिलाकर पीस लें। घृतं कषाये तु कलिकानां ___ जब घी ठण्डा हो जाय तो उसमें १० तोले पक्वं निहन्यादग्रहणी त्रिदोषाम् । खांड और आधा सेर शहद मिलाकर सुरक्षित पित्तातिसारं रुधिरप्रवाई रक्खें ।
तथाशो दोषसमूहबन्धम् ॥
For Private And Personal Use Only