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नक्षत्रके हस्त नक्षत्र उपलक्षित नजीक समीपमें है इसलिये हस्तोत्तरा अथवा हस्त नक्षत्र उत्तर में है जिसके एसा हस्तो. तरा सो उतराफाल्गुनी नक्षत्र समझना सो च्यवन गर्भाप.. हारादि श्रीवीरप्रभुके पांचोंकल्याणकों में हस्तोत्तरा उतराफाल्गुनी न क्षआयाहै और छठा मोक्ष कल्याणक स्वाति नक्षत्र में कार्तिक अमावस्या को हुआ है।
उपरोक्त पाठमें चौदह (१४ ) तीर्थंकर महाराजोंके पांच पांच कल्याणकों की व्याख्या करते श्रीअभयदेव सूरिजी महाराजने श्रीतीर्थंकर महाराजों के पूर्व भवका देव लोकस्थान, आयुस्थिति, तथा च्यवनादि कल्याणकोंके मास तिथि नक्षत्र और नगरीस्थान मातापिताके नामादि विस्तार पूर्वक खुलासा करके दिखाया है, तैसेही श्रीमहावीरस्वामीके पांचों कल्याणकोंकी खुलासा पर्वक व्याख्याके साथ छठा मोक्ष कल्याणक भी कार्तिक अमावस्याको स्वातिनक्षत्र में होने का खुलासा लिख दिया है, और कल्याणक, तथा 'स्थान, यह दोनों शब्द पर्यायवाची एकार्थके सूचक है इसका विशेष निर्णय शास्त्रों के प्रमाण पूर्वक तथा युक्तिसहित आगे कर. नेमें आवेगा।
और भी श्रीसीमंदर स्वामिजी भगवान्ने भी खास श्रीमहावीर प्रभुके केवल ज्ञान पर्यंत पांच कल्याणक हस्तोत्तरामें तथा छठा मोक्ष कल्याणक स्वाति नक्षत्र में खुलासा पूर्वक कहा है जिसका पाठ भी तो छपा हुआ श्रीआचारांगणी सत्रकी चूलिका में प्रसिद्ध है सो श्रीकल्पसूत्रका मूलपाठ ऊपरमें छपा है उसीतरहका श्रीसीमंधर स्वामिजी का भी कथन करा हुआ पाठ समझ लेना ।
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