Book Title: Aspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Author(s): M A Dhaky, Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith
View full book text
________________
-
चन्द्रप्रज्ञप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति का पर्यवेक्षण
४१
४१
सम. ६५, सूत्रांक १ सम. ८२, सू. १ सम. १३, सू.८ सम. ६१, सू. ४ सम. ९९, सू. ४ सम. ९९, सू. ५ सम. ९९, सू. ६ सम. ६०, सू. १
समवायांग
सूर्य के सूत्र सूर्यमण्डल १. सूर्यमण्डलों की संख्या २. सूर्यमण्डलों की संख्या ३. सूर्यमण्डल प्रमाण ४. सूर्यमण्डल समांश ५. प्रथम सूर्यमण्डल का आयाम-विष्कम्भ ६. द्वितीय सूर्यमण्डल का आयाम-विष्कम्भ ७. तृतीय सूर्यमण्डल का आयाम-विष्कम्भ ८. प्रत्येक सूर्यमण्डल में सूर्य की गति के मुहूर्त ९. सूर्य का आभ्यन्तर मण्डल में उपसंक्रमण
(भरतक्षेत्र से सूर्यदर्शन की दूरी का प्रमाण ) १०. सूर्य का बाह्यमण्डल में उपसंक्रमण
(भरतक्षेत्र से सूर्यदर्शन की दूरी का प्रमाण) ११. आभ्यन्तर तृतीयमण्डल में सूर्य का उपसंक्रमण
(भरतक्षेत्र से सूर्यदर्शन की दूरी का प्रमाण) १२. सूर्य से ऊपर और नीचे सूर्य का तापक्षेत्र १३. रत्नप्रभा के ऊपर के सम भू-भाग से ऊपर
को ओर सूर्य की गति का क्षेत्र १४. सूर्य का परिवार १५. उत्तरायण से निवृत्त सूर्य का अहोरात्र
के प्रमाण पर प्रभाव १६. दक्षिणायन से निवृत्त सूर्य का अहोरात्र
के प्रमाण पर प्रभाव १७. उत्तर दिशा में प्रथम सूर्योदय की दूरी का प्रमाण
सम. ४७, सू. १
सम. ३१, सू. ३
सम. ३३, स्. ४ सम. १९, सू. २
सम. प्र. ४६ सम. ८८, सू. १
सम. ७८, सू. ३
GM
सम. ७८, सू. ४ सम. ८०, सु. ७
समवायांग
चन्द्र के सूत्र १. चन्द्रमण्डल का समांश २. कृष्णपक्ष में और शुक्लपक्ष में चन्द्र की हानि-वृद्धि का प्रमाण । ३. चन्द्र का परिवार
सम. ६०, सू. ३ सम. ६२, सू. ३ सम. ८८, सू. २
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org