Book Title: Aspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Author(s): M A Dhaky, Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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चन्द्रप्रज्ञप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति का पर्यवेक्षण
४७ (३) चन्द्रादि पांच ज्योतिष्कदेव विमानों की चारों दिशाओं के विमान वाहक देवों का विकुर्वीत
स्वरूप और उनकी संख्या१. चन्द्र विमान की चारों दिशाओं के विमान वाहक देवों का स्वरूप और उनकी संख्या२. सूर्य विमान को चारों दिशाओं के विमान वाहक देवों का स्वरूप और उनकी संख्या३. ग्रहों के विमानों की चारों दिशाओं के विमान वाहक देवों का स्वरूप और उनकी संख्या, ४. नक्षत्रों के विमानों की चारों दिशाओं के विमान वाहक देवों का स्वरूप और उनकी संख्या, ५. ताराओं के क्मिानों की चारों दिशाओं में विमान वाहक देवों का स्वरूप और उनकी संख्या,
जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० १९८ चन्द्रादि पांचों ज्योतिष्क देवों की शीघ्रगति-मन्दगति का अल्प-बहुत्व
जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० १९९ ।'
चन्द्रादि पांचों ज्योतिष्क देवों की अल्पधि-महधि का अल्प-बहुत्व,
जीवा० प्रति० ३, उ० २, स० २००
चन्द्रादि पांचों ज्योतिष्क देवों का अल्प बहुत्व,
____ जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० २०६
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जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में चन्द्र-सूर्यप्रज्ञप्ति से सम्बन्धित सूत्र जम्बूद्वीप में दो चन्द्र और दो सूर्य हैं। इनसे सम्बन्धित कुछ सूत्र जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में हैं। उनको सूची इस प्रकार है
सूर्य के सूत्र१. क-सूर्य मण्डल संख्या,
ख-जम्बूद्वीप में सूर्य मण्डलों की संख्या, ग-लवणसमुद्र में सूर्य मण्डलों की संख्या, घ-जम्बूद्वीप और लवणसमुद्र में सूर्य मण्डलों की संयुक्त संख्या,
जंबू० वक्ष० ७, सू० १२७
सर्वाभ्यन्तर सूर्यमण्डल से सर्वबाह्य सूर्यमण्डल का अन्तर,
जंबू० वक्ष० ७, सू० १२८
प्रत्येक सुर्यमण्डल का अन्तर
जंबू० वक्ष० ७, सू० १२९
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