Book Title: Aspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Author(s): M A Dhaky, Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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डा० मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी एवं डा० कमलगिरि
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के समूह द्वारा जित बताया गया है।" इसी प्रकार एक स्थल पर महावीर को भी तीनों लोकों द्वारा पुजित बताया गया है । विभिन्न प्रसंगों में तीर्थंकरों को ब्राह्मण देवों से श्रेष्ठ या उनके समकक्ष भी बताया गया है । एक स्थल पर अजितनाथ को ब्रह्मा, त्रिलोचन शंकर, स्वयं बुद्ध, अनन्तनारायण और तीनों लोकों के लिए पूजनीय अर्हतु कहा गया है। इसी प्रकार एक अन्य स्थल पर ऋषभनाथ को स्वयंभू, चतुर्मुख, पितामह, भानु, शिव, शंकर, त्रिलोचन, महादेव, विष्णु, हिरण्यगर्भ, महेश्वर, ईश्वर, रुद्र और स्वयंसंबुद्ध नामों से संबोधित कर देवता और मनुष्यों द्वारा वंदित होने का भी उल्लेख है । ४
पउमचरिय में २४ तीर्थंकरों की सूची तीन स्थलों पर वर्णित है ।" इस सूची में चन्द्रप्रभ, सुविधिनाथ और महावीर का क्रमशः शशिप्रभ, कुसुमदंत ( या पुष्पदन्त ) और वीर नामों से भी उल्लेख हुआ है । ग्रन्थ में मन्दिरों में सिंहासनास्थित लम्बी जटा एवं मुकुट से शोभित ऋषभदेव', तथा धरणेन्द्र नाग के फणों से मण्डित पार्श्वनाथ की मूर्तियों के उल्लेख हैं । कुछ उदाहरणों में ऋषभदेव को श्रीवत्स से लक्षित भी बताया गया है।" ऋषभनाथ, अजितनाथ, महावीर तथा कुछ अन्य तीर्थंकरों के जीवन चरितों का भी उल्लेख मिलता है । ग्रन्थ में विभिन्न तीर्थंकरों की प्रस्तर, स्वर्ण, रत्न एवं काष्ठ निर्मित प्रतिमाओं के भी अनेक सन्दर्भ हैं । ये तीर्थंकर मूर्तियाँ विभिन्न आकारों
१. सिद्ध- सुर- किन्नरोरग दणुवइ भवणिन्दवन्दपरिमहियं । सहं जिणवरवसहं, अवसप्पिणिआइतित्थयरं ॥
२. वीरं विलीणरयमलं, तिहुयणपरिवन्दियं भयवं ॥
पउमचरिय १.१; २८.४९
- पउमचरिय १.६
३. नाह । तुमं बम्भाणो, तिलोयणो संकरो सयंबुद्धो । नारायणो अणन्तो, तिलोयपुज्जारिहो अरुहो || पउमचरिय ५.१२२
४. सो जिणवरो सयंभू, भाणु सिवो संकरो महादेवो । विष्हू हिरण्णगब्भो, महेसरो ईसरो रुद्दो ॥
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- पउमचरिय १०९.१२; द्रष्टव्य, पउमचरिय २८-४८
५. ऋषभनाथ, अजित, संभव, अभिनन्दन, सुमति, पद्मप्रभ, सुपाश्वं चन्द्रप्रभ ( शशिप्रभ), सुविधि ( कुसुमदत्त या पुष्पदन्त), शीतल, श्र ेयांस, वासुपूज्य, विमल, अनन्त, धर्म, शांति, कुंथु, अर, मल्लि, मुनिसुव्रत, नमि, नेमि, पार्श्व एवं महावीर (वीर ) -
- पउमचरिय १.१-७ ५.१४५-५१ २०.४-६
६. पउमचरिय २८.३९
७. पउमचरिय १.६
८. पउमचरिय ४.४
९. पउमचरिय ६६.११;७७.२७;८९.५९
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