Book Title: Aspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Author(s): M A Dhaky, Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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आगमि गच्छ / प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास
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साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित आगमिकगच्छ [ धंधूकीयाशाखा ]
का वंशवृक्ष [ तालिका-१ ] शीलगुणसूरि
देवभद्रसूरि
धर्मघोषसूरि
यशोभद्रसूरि
सर्वाणंदसूर
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जिनचन्द्रसूरि
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विजयसिंहसूरि
अभयदेवसूरि
अभयसिंहसूर [ वि० सं० १४२१ ] प्रतिमालेख
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अमरसिंहसूरि [वि० सं० १४५१-१४८३ ]
प्रतिमालेख हेमरत्नसूर [वि० सं० १४८४-१५२१ ] प्रतिमालेख
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धर्मरत्नसूरि T मेघ रत्नसूर
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साधुमेरु [वि० सं० १५०१ में अमररत्नसूरि [वि० सं० १५२४-४३] पुण्यसारस के कर्ता ]
प्रतिमालेख
सोमरत्नसूरि [वि. सं.१५४८-८१ ] कल्याणराजसूरि
प्रतिमालेख i
सौभाग्य सुन्दरसूरि [वि० सं० १६१० ] प्रतिमालेख
गुणनिधानसूरि
उदयरत्नसूर [ वि.सं. १५८६-८७]
प्रतिमालेख
वज्रसेनसूरि
क्षमाकलश [ वि. सं. १५५१ में सुन्दरराजारास ] [वि. सं. १५५३ में ललिताङ्गकुमाररास ]
अमररत्न सूरिशिष्य [ अमररत्नसूरिफा के कर्ता ]
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गुणमेरुरि
मतिसागरसूरि [वि० सं० १५९४ ] लघुक्षेत्रसमासचौपाई के रचनाकार
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