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अनेकान्त 65/2, अप्रैल-जून 2012
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४. शाकाहारी भोजन मांसाहारी भोजन की अपेक्षा अधिक सुपाच्य है। ५. शरीर के लिए अधिक धातुओं की पूर्ति मांसाहार भोजन की अपेक्षा शाकाहारी भोजन करता
है।
६. मानव मांसाहारी भोजन की अपेक्षा शाकाहारी भोजन में अधिक स्वस्थ रहता है। ७. शाकाहार मंदकषाय है तो मांसाहार तीव्र कषाय है। ८. शाकाहारी में संघर्ष करने की क्षमता मांसाहारी प्राणी से अधिक होती है।
इन कारणों के अतिरिक्त और भी कारण है, शरीर संरचनानुसार प्रत्येक प्राणी के भोजन का समय और प्रकार निर्धारित किया गया है।
शाकाहारी प्राणियों की शरीर संरचनानुसार मानव शरीर की रचना होती है। अतः जैसे शाकाहारी पशुपक्षी शाम को ही अपने गंतव्य स्थान पर जाकर समस्त क्रिया कलाप बन्द करके विश्राम करते हैं वैसे ही मनुष्यों को अपने भोजनादि क्रिया कलापों को बंद रखना चाहिए।
अहिंसकाहार- आहार की प्रकारों से यह तो स्पष्ट रूप से ज्ञात होता है कि मांसाहार अहिंसकाहार की श्रेणी में नहीं आता परन्तु शाकाहारी वस्तुओं को भी जैन चर्या में पूर्ण रूप से अहिंसकाहार का अंग स्वीकार नहीं करती है। जिनमें जमीकंद, चलितरस, अभक्ष्य पदार्थ, त्रसहिंसाकारक फल एवं वनस्पतियां, बहु स्थावर हिंसाकारक वस्तुओं को अहिंसकाहार में परिगणित नहीं किया गया है। जिनका वर्णन आगे किया गया है।
इन भेदों के अतिरिक्त शास्त्रकारों ने आहार के अन्य भेद भी गिनाये हैं जो शाकाहार तथा मांसाहार दोनों की श्रेणी में आते हैं, ये तीन प्रकार के होते हैं सात्विक, तामसिक, राजसिक आहार। इन तीन प्रकार के आहार में सात्विक, राजसिक आहार तो पूर्ण रूप से शाकाहारी है परन्तु तामसिक आहार में शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों आहारों को सम्मिलित किया गया है। १. सात्विक आहार -
सात्विक आहार शाकाहारी प्राणियों का मूल आहार है। इसके बिना वह जीवित नहीं रह सकता। सात्विक आहार जहाँ प्राणियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, वही उसके मस्तिष्क में सद्विचारों का संचार करता है तथा मानसिक व्यग्रता को दूर करता है। जैन आहार विशेषतया सात्विक भोजन के लिए प्रेरित करता है। जैन ऋषियों का कथन है कि जैसा अन्न वैसा मन अर्थात् मनुष्य जैसा भोजन करता है उसके अनुकूल ही मन पर प्रभाव पड़ता है। सात्विक भोजन अन्न पर आधारित है जैसे गेहूँ, जौ, चना, मक्का, बाजरा, चावल, मूंग, मोठ सब तरह की दालें, ताजा फल, हरी सब्जियाँ, घी, तेल का सेवन भी सात्विक आहार का हिस्सा है।
सात्विक आहार दीर्घ आयु देने वाला और विवेक, शारीरिक बल, आरोग्य, मन की शांति, परस्पर सामंजस्य, प्रेम-प्रीति बढ़ाने वाला होता है। इस आहार में एन्टी ऑक्सीजन का गुण होता है, जो शरीर में कैंसर की रोकथाम करता है। वृद्धावस्था में दिमागी निर्बलता से होने