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पुस्तक समीक्षा
१. महावीर कथा (कृति) लेखक-आचार्य अशोक सहजानंद, प्रकाशक-अरिहंत इंटरनेशनल, २३९, दरीबाकंला, चांदनी चौक, दिल्ली-६, प्रथम संस्करण-२०११, मूल्य २००/- पृष्ठ-१६०
प्रस्तुत समीक्ष्य कृति में भगवान् महावीर के जीवन की एक प्रामाणिक प्रस्तुति है। लेखक ने महावीर कालीन सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक आदि दशाओं का चित्रण के साथ भगवान् महावीर के पूर्वभवों का वर्णन किया। इसमें यथायोग्य श्वेताम्बर मान्यताओं का उल्लेख भी समाहित किया गया है। निर्वाण से पूर्व भगवान् द्वारा दिया गया अंतिम दिव्य उपदेश रोचक ढंग से प्रस्तुत है जो उत्तराध्ययन सूत्र (जैन आगम) से लिया गया है। ३६ अध्ययनों के माध्यम से अध्यात्मोन्मुखी, कर्म-फल कथा सूत्र आदि का वर्णन प्राकृत गाथाओं के आधार पर दिया जिनके संदर्भ भी लिखे जाना चाहिए था। मूल्य अपेक्षाकृत अधिक है।
२. सहज आनन्द (त्रैमासिकी शोध का “प्रथम चक्रवर्ती भरत" विशेषांक) प्रधान संपादक-आचार्य अशोक सहजानंद, प्रकाशक-मेघ प्रकाशन, चांदनी चौक, दिल्ली-६, विशेषांक-संग्रहणीय है। जो सार्थक जीवन का सफल संवाद प्रस्तुत करता है। अंक-७४ सितम्बर २०१०, मूल्य ४०/-रु. पृष्ठ-१६२
प्रस्तुत अंक में सम्राट भरत विषयक विद्वान लेखकों के २७ शोधालेख संकलित हैं। विशेषांक में उपाध्याय अमरमुनि, विद्यावाचस्पति डॉ. रंजनसूरिदेव, डॉ. प्रचण्डिया आदि के आलेख पठनीय है। ३. जैन वाड्.मय रत्नकोश - (प्रथम खण्ड) प्रवक्ता-अध्यात्म योगी श्रीमद् सहजानंद वर्णी, संकलन/संपादन-आचार्य अशोक सहजानंद, प्रकाशक- जैन ग्रंथागार-दिल्ली-६, पृष्ठ-४८०, प्रथम संस्करण-२०११ एक खण्ड का मूल्य ७५०/-रु. संपूर्ण सेट-४ खण्ड का मूल्य रु. ३०००/
भेद विज्ञानी अध्यात्म विद्याविशारद, मोक्षलक्ष्मी को जिन्होंने उपादेय निश्चित किया ऐसे सहजानंद जी वर्णी महाराज की पावन स्मृतियों में समीक्ष्य ग्रंथ प्रकाशित कर उन्हें सादर समर्पित है। श्रीमद् कुन्दकुन्दाचार्य के समयसार, ग्रंथ पर उसमें वर्णित १० अधिकारों पर पूज्य वर्णी द्वारा दिये गये सारगर्भित प्रवचनों का संकलन समीक्ष्य कृति में है। आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी ने इस अध्यात्म के महाग्रंथ में शुद्ध आत्म स्वरूप का निश्चय नय की दृष्टि से प्रतिपादन किया है। प्रस्तुत खण्ड प्रथम में समयसार की प्रारंभ की ३८ गाथाओं की मार्मिक प्रवचन शैली में व्याख्या है।
पं. निहालचंद जैन