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अनेकान्त 65/4, अक्टूबर-दिसम्बर 2012
(४) आखिरत - पवित्र कुरआन के अनुसार कयामत के दिन सबका न्याय होगा। दुनिया की हर चीज नेस्तनाबूद हो जाएगी। सब अल्लाहताला के सामने हाजिर होंगे। नेक लोग जन्नत जाएंगे और बद जहन्नुम भेजे जाएंगे। आखिरत का सिद्धान्त ईसाई धर्म के न्याय का दिन' से पूर्ण समानता रखता है तथा आंशिक रूप से भारतीय धर्मो (वैदिक, जैन, बौद्ध आदि) के कर्मफल सिद्धान्त से साम्य रखता है।
(५) इबादत - सलात (पाँच समय की नमाज) सॉम (रोजा), खैरात (अनिवार्यदान) और जियारत (जीवन में कम से कम एक बार हज यात्रा) अल्लाह की दरगाह में चार इबादते हैं, जिन्हें करना हर मुस्लिम का फर्ज है।
(६) धर्म का स्वरूप - कुरआन में मानवीय धर्म का अत्यन्त सरल और सहज रूप व्याख्यापित हुआ है।
“नेकी यह नही है कि तुम पूरब या पश्चिम को (किब्ला समझकर उन) की तरफ मुँह कर लो, बल्कि नेकी यह है कि लोग खुदा पर, फरिश्तों पर, खुदा की किताब पर और पैगम्बरों पर ईमान लाएँ और माल बावजूद अजीज रखने के रिश्तेदारों और यतीमों और मुहताजों और मुसाफिरों और मांगने वाले को दें और गुलामों को छुड़ाने में खर्च करें और नमाज पढ़ें और जाकात दें और जब अहद करलें तो उसको पूरा करें"
(७) अहिंसा - ‘इस्लाम' में हिंसा को बढ़ावा देने का आक्षेप भी तत्कालीन परिस्थितियों तक सीमित समझा जाना चाहिए। अन्यथा पवित्र कुरआन के सन्देश अहिंसात्मक व्यवहार के लिए ही प्रेरित करते हैं। एक प्राणी की रक्षा को पूरी मानवजाति की रक्षा का दर्जा दिया गया है- "किसी का कत्ल कर डालने या मुल्क में फसाद फैलाने के जुर्म के अलावा, किसी शख्स को कोई मार डाले तो मानो उसने तमाम इंसानों को मार डाला और जिसने एक मरते को बचा लिया तो मानो उसे तमाम इंसानों को बचा लिया।"
(८) नैतिक आचरण - इस्लाम में किसी प्रकार के नशे, शराब, जुआ अथवा व्यभिचार का पूर्ण निषेध किया गया है। इसके लिए कुरआन में आचार संहिता निर्देशित की गई है।
"धरती पर अकड़ के मत चलो। न तो तुम धरती को फाड़ सकते हो और न ही तनकर पर्वतों की ऊँचाई तक पहुँच सकते हो।"
डॉ. त्रिलोक चन्द कोठारी (डी. लिट.) भारत के दिगम्बर समाज के अग्रणीय उद्योगपति हैं। आपका जीवन इस बात का आद्वितीय उदाहरण है कि एक सामान्य किसान राजस्थान में किस प्रकार भारत को एक शक्तिशाली उद्योगपति बन गया। आपके जीवन पर विनोबा जी का प्रभाव रहा और आप विनोबा जी के साथ उनके अंतिम छह मास साथ रहे।
- (आपकी प्रकाशनार्थ पुस्तक - अहिंसा गांधीजी और सार्वभौम धर्म से साभार)