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उज्जयिनी के मंदिरों में सजीले तोरण द्वारों का ऐतिहासिक परिचय तोरण -
तोरण का अलंकरण तीन स्तरों में किया गया है। नीचे के स्तर में कमल की कलियों को एक के ऊपर एक व्यवस्थित करके उन्हें लयात्मक ढंग से बनाया गया है। मध्यभाग में छोटे-छोटे चक्र बनाये गये हैं। जिनमें तीन पत्तियों वाली कली को दर्शाया गया है। ऊपरी स्तर में कलियों को एक के ऊपर एक व्यवस्थित किया गया है। तोरण के वक्रों के जुड़ने के स्थान पर घंटिकाएं बनाई गई हैं। घंटिकाओं के ऊपर का छोटा चौकोर स्थान भी फूलों की पंक्ति से अलंकृत किया गया है। तोरण का वह भाग जहां पर तोरण मंदिर की छत से जुड़ता है, वहां पर एक वृत्त वानला कमल का खिला हुआ पुष्प बनाया गया है। अलंकृत चौकी के ऊपरी भाग में स्तम्भ के पहले गोल फिर अलंकरण के आधार पर अष्टकोणीय हो जाता है जिसमें प्रत्येक कोणीय भाग के मध्य में चार पंखुड़ियों वाला पुष्प उकेर कर बनाया गया है तथा जिसमें से कि घंटिकाएँ लटक रही हैं।
इस तोरण के स्तम्भ हमें साधारण दिखते हैं तथा तोरण का अलंकरण गुप्तकाल की शैली से प्रभावित दिखता है। ५. श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन मंदिर, खाराकुँआ -
यह मंदिर २०० वर्ष पुराना है। जबकि इस मंदिर के पुजारी यहां के भगवान श्री पार्श्वनाथ जी की मूर्ति को २००० साल पुरानी बताते हैं। इस मंदिर के जीर्णोद्धार के तहत ४० वर्ष पूर्व ही यहां तोरण का निर्माण हुआ है।
प्रवेश द्वार का स्तम्भ दो भागों में बँटा हुआ है। ऊपरी भाग व निचला भाग। निचले भाग में चौकी बनाई गई है, जिस पर थोड़ा सा अलंकरण है। जिसमें पुष्प बना दिये गये हैं। उसके ऊपर एक बड़ा कमल बनाया गया है जिस पर कि एक द्वारपाल हाथ में दंड लिये हुए खड़ा है। यह मूर्ति अंग्रेजों के शासन काल से प्रभावित है तथा इसका अलंकरण राजा महाराजाओं के द्वारपाल समान किया गया है। अतः देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि यह यक्ष की मूर्ति न होकर द्वारपाल की मूर्ति है। ऊपरी भारग में भी चौकी के ऊपर १ बड़ा कमल निर्मित किया गया है जिस पर १-१ नारी आकृति बनाई गई है, जो दासियों (सेविकाएं) दिखाई देती हैं। इनके हाथ में १-१ अलंकृत थाल है जिसमें पुष्प भरे हुए हैं। इन आकृतियों पर रंगरोगन कर दिया गया है।
चौकी के एक तरफ से तोरण बनाया गया है जो कि मकर मुख से निकलता हुआ दिखाया गया है। मकर मुख के पीछे उत्प्लावित समुद्र तरंगे भी बनाई गई हैं। तोरण साधारण है, जिसमें मध्यभाग में १ स्तर पर ही अलंकरण किया गया है। जिसमें पद्मदल को १ ऊपर व्यवस्थित कर उसमें लयात्मकता लाने का प्रयास किया गया है। इस तोरण में वक्रों के वलय स्थान पर १-१ छोटी सफेद मूर्ति प्रदर्शित की गई है, जो कि अपने एक-एक हाथ में पूर्ण घट लिये हुए है। इन मूर्तियों की चौकी के नीचे घंटिकाएं निर्मित की गई हैं। जबकि मध्य भाग में पद्मासन पर बैठी एक नारी आकृति उत्कीर्ण की गई है। ६. श्री अवंति पार्श्वनाथ जैन मंदिर, दानीगेट -