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अनेकान्त 65/4 अक्टूबर-दिसम्बर 2012
अपना खाना खाने के लिए बैठने से पहले यह पता लगा लो कि तुम्हारे पास पड़ौस में कोई भूखा तो नहीं रह गया है। उसके मांगने से पहले गरीब को दे दो ।
तीन तरह के लोगों के लिए जन्नत के दरवाजे बन्द होते हैं- शोषक, शोषकों के सहायक या समर्थक और जो शोषण को सहन कर लेते हैं।
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जो कोई भी विद्वान् तुम्हें मिले, उसके सेवक बन जाओ।
- तुम्हारी कमजोरियाँ छिपी होंगी, जब तक कि किस्मत तुम्हारे साथ है।
यह ख्याल मत रखो कि कौन कह रहा है, बल्कि यह सोचो कि वह क्या कर रहा है। जैनधर्म में पांच समिति ओर तीन गुप्तियाँ अष्टप्रवचन मातृकायें कहलाती हैं, जो माता के समान पूजनीय है । जिनवाणी को भी माता कहा जाता है। इनसे स्वर्गादि सुखों की प्राप्ति तो होती ही है, ये मोक्ष की भी कारण है।
'क्षेमं सर्वप्रजानां' कहकर जैन धर्म में सभी के कल्याण की कामना की गई है। “क्लिष्टेषु जीवेषु कृपापरत्वं" कहकर जैनधर्म में दीन दुःखी जीवों पर करुणा भाव रखने का उपदेश दिया गया है। मेरी भावना में हम पढ़ते हैं- “दीन दुःखी जीवों पर मेरे उर से करुणा स्रोत बहे।"
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जैन धर्म किसी सृष्टिकर्त्ता ईश्वर में विश्वास नहीं करता है।
जैन धर्म में कृत, कारित, अनुमोदना पूर्वक सभी पापों का निबंध किया गया है। कहा गया है- समरंभसमारंभ आरंभ मन, वच, तन कीने प्रारम्भ । कृत कारित मोदन करके क्रोधादि चतुष्टय धरिके । शत आठ जु भेद भए इम तिनके वश पाप किए हम । (आलोचना पाठ)
जैनधर्म में अतिथि संविभाग व्रत की महत्ता बतलाकर पात्रों के अनुसार उसका फल बतलाया गया है। यह शक्तिस्त्याग भावना के अंतर्गत समादिष्ट होता है।
मुस्लिम धर्म की सामाजिक संरचना के प्रमुख तत्त्व इस प्रकार हैं
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१. “विसमिल्लाह एल रहमान अल रहीम" (दयालु और विशाल हृदय ईश्वर के नाम में) से काई भी कार्य आरंभ किया जाता है। ईश्वर से ही हम आते हैं और ईश्वर के पास ही हम लौट जाते हैं।" इस विचार से मुसलमानों की सभी क्रियायें पथप्रदर्शित होती हैं ।
२. “ला इलाही इल अल्लाह" (ईश्वर के अलावा और कोई देवी देवता नहीं है) मुसलमानों का सर्वोच्च धामिक सिद्धान्त है।
३. मुस्लिम धर्म के पांच मूल सिद्धान्त हैं।
(क) एक ईश्वर में विश्वास करना । (ख) प्रतिदिन पांच बार नमाज (प्रार्थना) करना। (ग) रमजान के महिने में रोजा (उपवास) करना । (घ) जकात (गरीबों के लाभार्थ) कर देना। (ड.) जीवन में एक बार अरब में स्थित मुसलमानों के पवित्र तीर्थस्थान मक्का की धार्मिक यात्रा अवश्य करना ।
४. मुसलमानों के पवित्र त्योहारों में प्रमुख हैं- रमजान और ईद उल अजहा ।
५. संयुक्त परिवारों को उत्तम माना जाता है।
६. मुस्लिम परिवारों में बड़े बूढ़ो, माता-पिता का आदर करने व उनका आदेश मानने पर विशेष बल दिया जाता है।