________________
जैन संस्कृत आध्यात्मिक टीकाकार : एक सर्वेक्षण
उस परमार्थ को जो विशेष रूप से जानता है, उसे परमार्थ विज्ञायक कहते हैं। ऐसा परमार्थ विज्ञायक योगी यदि रागी हो तो वह मोक्ष को प्राप्त नहीं होता है; क्योंकि मोक्ष तो राग, द्वेष, मोह से रहित पुरुष का विषय है। ऐसा जानकर वीतराग आत्मतत्व के सम्यक् श्रद्धान, ज्ञान और अनुभूति के बल से वह राग निकट भव्य जीवों को हेय है, अभव्य जीवों के नहीं।
अन्य टीकाकार - समयसार की संस्कृत टीकाओं में भट्टारक शुभचन्द्र की अध्यात्म तरंगिणी, भट्टारक देवेन्द्रकीर्ति की समयसार टीका एवं नित्यविजय की कलश टीका का अभी प्रकाशन नहीं हुआ है। प्रवचनसार पर मल्लिषेण एवं प्रभाचन्द्र ने टीकायें लिखी हैं। मल्लेिषेण की संस्कृत टीका का डॉ.ए. एन. उपाध्ये ने उल्लेख किया है, लेकिन राजस्थान के शास्त्र भण्डारों में अभी तक इस टीका की उपलब्धि नहीं हुई है। ब्रह्मदेव ने भी समयसार, प्रवचनसार एवं पंचास्तिकाय इन तीनों पर अमृतचन्द्र एवं जयसेन के समान ही संस्कृत टीकायें लिखी थीं, ऐसा उल्लेख मिलता है, लेकिन इन टीकाओं की अभी तक कोई पाण्डुलिपि उपलब्ध नहीं हो सकी है और उनकी खोज की आवश्यकता है। संदर्भ - १. णिस्सेसदोसरहिओ केवलणाणाइपरमभावजुदो।
सो परमप्पा उच्चइ तव्विवरीओ ण परमप्पा।। नियमसार-७ तस्समुहुग्गदम्ळं पुव्वावरदोसविरहियं सुद्ध। आगममिदिपरिकहियं तेण दु कहिया हंवति तच्चत्था। आ. कुन्दकुन्द : नियमसार-८ जीवा पोग्गलकाया धम्माधम्मा य काल आयासं। तच्चत्था इदिभणिदा णाणगुणपज्जएहिं संजुत्ता।। नियमसार-९
द्रव्यसंग्रह (ब्रह्मदेववृत्ति) पृ. २३१ ५. अनगार धर्मामृत : भव्यकुमुदचन्द्रिका टीका पृ. १६० तथा ५८८
समयसार कलश पद्य क्रमांक-४
वही क्रमांक-६९ ८. वही क्रमांक ३२
डॉ. लालबहादुर शास्त्री : आ. कुन्दकुन्द और उनका समयसार, पृ. ३२७ १०. डॉ. शुद्धात्मप्रभा : आ. कुन्दकुन्द और उनके टीकाकार, पृ. २०८-२१९ ११. वही पृष्ठ-२२१ १२. डॉ. कस्तूरचंद कासलीवाल : आचार्य कुन्दकुन्द : व्यक्तित्व एवं कृतित्व, पृ. १२२-१२३ १३. नियमसार (डॉ. हुकमचन्द्र भारिल्ल द्वारा लिखित प्रस्तावना) पृष्ठ-२७ १४. तत्त्वसार (पं. हीरालाल सिद्धान्तं शास्त्री द्वारा लिखित प्रस्तावना), पृष्ठ-२३-२६ १५. महावीर जयन्ती स्मारिका, १९८९ (जयपुर) डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल का लेख- आचार्य कुन्दकुन्द के ग्रंथों की अप्रकाशित टीकायें, पृष्ठ-२-४२-४३
-बी.जे.पी. कार्यालय के पास, मोहल्ला- कुंवर बालगोविन्द
बिजनौर (उ.प्र.)