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जैन आगमों में विभिन्न मतवाद एवं उनकी उत्पत्ति के कारण
- डॉ. वन्दना मेहता वेद से लेकर उपनिषदों तक भारतीय चिंतनधारा अपने उन्मुक्त प्रवाह में बह रही थी। अनेक आश्रमों, उपवनों, जंगल अथवा विहार स्थलों में अनेक ऋषि-मुनि, परिव्राजक आदि अपने-अपने विचारों, मतों को शिष्यों और जिज्ञासु के समक्ष रख रहे थे। किन्तु उन विचारों की कोई सुनिश्चित व्यवस्था नहीं थी अर्थात् श्रुत परम्परा के रूप में ही ये विचार चल रहे थे।
उपनिषदों के काल से ही वैदिक धर्म विरोधी दार्शनिक मतों का अस्तित्व प्रमाणित होता है किन्तु इस काल के बाद जो समय आया, वह दार्शनिक मतवादों के प्रखर अभ्युदय का युग था। यह स्थिति न केवल भारतवर्ष में थी अपितु सम्पूर्ण विश्व में देखी जा सकती थी, जहां इन लोगों ने धार्मिक और दार्शनिक श्रद्धा का मूलोच्छेद कर डाला। इन विरोधी मतवादों की अधि क संख्या भी हमारा ध्यान आकृष्ट करती है। इस युग के इतिहास के साधन नितान्त स्वल्प हैं, परन्तु जो कुछ आज उपलब्ध है, उसी से युग में सक्रिय विरोध की तीव्रता का अनुमान किया जा सकता है। ___ भारत की सभी दार्शनिक परंपराओं में भिन्न-भिन्न महत्त्वपूर्ण पहलुओं को लेते हुए अनेक वादों का प्रचलन हुआ, जिनका भारतीय चिन्तन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। उन चिन्तकों ने गहराई में जाकर जीवन और जगत् से संबन्धित महत्त्वपूर्ण तथ्य हमारे सामने रखे।
यह मानवीय स्वभाव है कि वह जो कुछ समझता है, उसे व्यक्त करना चाहता है, उसे शब्दों के रूप में प्रकट करने में उत्सुक रहता है। ऐसे में किसी धार्मिक संघ के नेता या प्रमुख होते हैं, वे अपने द्वारा मान्य सिद्धान्त को दुनिया में फैलाना चाहते हैं। इसलिए वे अपने द्वारा मान्य मतों को दुनियाँ में प्रचारित करते और संघ/संगठन का निर्माण करते हैं। जैन आगमों में जैसे सूत्रकृतांग, भगवती, राजप्रश्नीय आदि ग्रन्थ, बौद्ध ग्रन्थों में दीघनिकाय, अंगुत्तरनिकाय, उदान आदि उपनिषदों में श्वेताश्वतर, मैत्रायणी, बृहदारण्यक आदि तथा वैदिक परंपरा के ही महाभारत आदि ग्रंथ भी एतद्विषयक प्रचुर सामग्री उपलब्ध कराते हैं। वहाँ पूरकता और प्रामाणिकता के लिए उपयोगी सामग्री प्राप्त होती है। जिससे जैन तथा बौद्ध धर्म के तत्कालीन स्वरूप का भी पता चलता है। इन्होंने विरोधी मतों में सामंजस्य स्थापित करने का पूरा प्रयत्न किया। ___'वाद' शब्द के अन्तर्गत सैकड़ों प्रकार हैं। किसी भी शब्द के साथ 'वाद' शब्द लगा देने से एक प्रकार का 'वाद' एक विशेष मत, संकेतित हो जाता है। जैसे आजकल अंग्रेजी में 'इज्म'; शब्द जोड़ देने से एक-एक दर्शन में बहत-बहुत वादों के भेद अंतर्गत हो रहे हैं। वाद