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आनन्द प्रवचन : भाग ८
लखपति बन जाने की सोचता है । उसे स्वप्न भी आता है तो वह भी धन का । वह नोटों की गड्डियां गिनने का ही स्वप्न देखता है । धन का लोभी क्या-क्या अनर्थ नहीं करता?
धन के लोभ में वह अपनी जाति, अपने स्वाभाविक गुणों, अपनी प्रतिष्ठा, अपनी कीर्ति, अपने रिश्तेनाते, अपने स्नेह-सम्बन्ध यहाँ तक कि अपने प्राणों तक को तिलांजलि देने को तैयार हो जाता है। योगीभर्तृहरि ने लोभी व्यक्तियों की धन लालसा का सुन्दर चित्रण किया है
"जातिर्यातु रसातलं गुणगणास्तत्राऽप्यधोगच्छताम् । शीलं शैलतटात् पतत्वभिजनः सन्दह्यतां वह्निना ।। शौर्ये वैरिणि वज्रमाशु निपतत्वर्थोऽस्तु नः केवलम् ॥
येनकेन विना गुणास्तुणलव प्रायः समस्ता इमे ॥" "जाति चाहे रसातल में चली जाए, गुण समूह की भी चाहे अधोगति हो जाए, शील भले ही पहाड़ से गिर कर चूर-चूर हो जाए, परिजनों का सम्बन्ध भी आग में जल जाय, चाहे बैरी शूरवीरता पर शीघ्र वज्र गिर पड़े; मुझे तो केवल धन मिलना चाहिए। जिस अकेले धन के बिना ये सारे गुण तिनके के समान हैं।"
- एक ब्राह्मण पण्डित वेश्या के यहाँ पहुँच गए। वेश्या ने उनकी बड़ी आवभगत की। परन्तु जब वह भोजन थाली में परोस कर लाई तो पण्डितजी का माथा ठनका। बोले-तू मुझे धर्म भ्रष्ट करना चाहती है । मैं तेरे हाथ का बनाया भोजन कैसे खा सकता हूँ। मैं ब्राह्मण हूँ।" वेश्या ने उन्हें पाँच रुपये दक्षिणा के दिये और ७५ रुपये भोजन के सामान के लिए दिये । जब वे उठकर सामान लाने के लिए जाने लगे, तभी वेश्या ने कहा-'पण्डितजी ! आप इतना कष्ट करेंगे, इसकी अपेक्षा लीजिए ये सौ रुपये और इसी भोजन को तथा मेरे हाथ को गायत्री मन्त्र से पवित्र करके खा लीजिए। कुल १८० रुपये देख कर पण्डितजी के मुंह में पानी भर आया । उन्होंने चौका लगाया। गायत्री मन्त्र बोला और उस वेश्या के हाथ से भोजन करने को तैयार हो गये।
___ लोभी मनुष्य धन के आगे जाति-पाँति को नहीं देखता, न देखता हैशील भंग को। धन पाने के लिए लोभी स्त्रियाँ युद्ध के दिनों में शत्रुपक्ष के सेनानायकों से शीलभ्रष्ट होकर जासूसी करती हैं । धन के लोभ में लाखों-करोड़ों व्यक्ति अन्याय-अत्याचार करने को तैयार हो जाते हैं। अपने सम्बन्धियों का धन हड़पने में धन-लोलुप व्यक्ति पूरे उरताद होते हैं । चोर, डाकू, लूटेरे धन के लोभ में आकर राजकीय कठोर कारावास एवं दण्ड की परवाह नहीं करते। धन का भूखा मनुष्य धन लुब्ध होकर अपने भाई, बहन, माता-पिता, यहाँ तक कि पत्नी तक से सम्बन्ध तोड़ लेता है, उन्हें मौत के घाट भी उतार देता है। धन के लोभ में आकर
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