Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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हुआ है। वायुपुराण ब्रह्माण्डपुराण आदिपुराण ३ वराहपुराण वायुमहापुराण ५ लिंगपुराण ६ स्कन्दपुराण मार्कण्डेयपुराण' श्रीमद्भागवतपुराण' आग्नेयपुराण, विष्णुपुराण, ११ कूर्मपुराण, १२ शिवपुराण, १३ नारदपुराण, आदि ग्रन्थों से भी स्पष्ट है कि प्रस्तुत देश का नामकरण भगवान् ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम से हुआ। पाश्चात्य विद्वान् श्री जे. स्टीवेन्सन १५ तथा प्रसिद्ध इतिहासज्ञ गंगाप्रसाद एम. ए. १६ और रामधारीसिंह दिनकर १७ का भी यही मन्तव्य है। कतिपय विद्वानों ने दुष्यन्त- तनय भरत के नाम के आधार पर भारत नाम का होना लिखा है, यह सर्वथा असंगत एवं भ्रमपूर्ण है। ऋषभपुत्र चक्रवर्ती भरत के विराट् कर्तृत्त्व और व्यक्तित्व की तुलना दुष्यन्तपुत्र भरत का व्यक्तित्व-कृतित्व नगण्य है। सर्वप्रथम चक्रवर्ती भरत ने ही एकच्छत्र साम्राज्य की स्थापना करके भारत को एकरूपता प्रदान की थी।
१.
वायुपुराण, ४५। ७५
२. ब्रह्माण्डपुराण, पर्व २ । १४
३.
४.
आदिपुराण, पर्व १५ । १५८ - १५९
वराहपुराण ७४ । ४९
वायुमहापुराण ३३ । ५२
आवश्यकनिर्युक्ति त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित और महापुराण में सम्राट् भरत के अन्य अनेक प्रसंग भी हैं, जिनका उल्लेख जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में नहीं हुआ है। उन ग्रन्थों में आए हुए कुछ प्रेरक प्रसंग प्रबुद्ध पाठकों की जानकारी हेतु हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं।
अनासक्त भरत
सम्राट् भरत ने देखा मेरे ९९ भ्राता संयम-साधना के कठोर कंटकाकीर्ण मार्ग पर बढ़ चुके हैं पर मैं अभी भी संसार के दलदल में फसा हूँ। उनके अन्तर्मानस में वैराग्य का पयोधि उछालें मारने लगा। वे राज्यश्री का उपभोग करते हुए भी अनासक्त हो गए। एक बार भगवान् ऋषभदेव विनीता नगरी में पधारे। पावन प्रवचन चल रहा था। एक जिज्ञासु ने प्रवचन के बीच ही प्रश्न किया- भगवन् ! भरत चक्रवर्ती मरकर कहाँ जाएंगे ? उत्तर में भगवान् में कहा-मोक्ष में। उत्तर सुनकर प्रश्नकर्त्ता का स्वर धीरे से फूट पड़ा भगवान् के मन में पुत्र के प्रति मोह और पक्षपात है। वे शब्द सम्राट् भरत के कणकुहारों में गिरे। भरत चिन्तन करने लगे कि मेरे कारण इस व्यक्ति ने भगवान्
५.
६. लिंगपुराण ४३ । २३
२
स्कन्दपुराण, कौमार खण्ड ३७ । ५७
७.
८. मार्कण्डेयपुराण ५० । ४१
९.
श्रीमद्भागवतपुराण ५ । ४
१०. आग्नेयपुराण १०७ । १२
११. विष्णुपुराण, अंश २, अ. १ । २८-२९ । ३२
१२. कूर्मपुराण ४१ । ३८
१३. शिवपुराण ५२ । ५८
४
१४. नारदपुराण ४८/५
4. Brahmanical Puranas.......took to name 'Bharatvarsha' = Kalpasutra Introd. P. XVI
१६. प्राचीन भारत पृष्ठ ५
१७. संस्कृति के चार अध्याय, पृ. १३९
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