Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 432
________________ सप्तम वक्षस्कार ] विसमं पवालिणो, परिणमन्ति अणुऊसु दिंति पुप्फफलं । सम्म वासं न पुढवि - दगाणं च रसं, पुप्फ-फलाणं च देइ आइच्चो । अप्पेण वि वासेणं, सम्मं निप्फज्जए सस्सं ॥ ४ ॥ आइच्च - तेअ-तविआ, खणलवदिवसा उऊ परिणमन्ति । पूरेइ अ णिण्णथले, तमाहु अभिवद्धिअं जाणं ॥ ५ ॥ सणिच्छर-संवच्छरे णं भंते कतिविहे पण्णत्ते ? वासइ, तमाहु संवच्छरं कम्म ॥ ३ ॥ गोयमा ! अट्ठाविसइविहे पण्णत्ते, तं जहा अभिई सवणे घणिट्ठा, सयभिसया दो अ होंति भद्दवया । रेवइ अस्सिणि भरणी, कत्तिअ तह रोहिणी चेव ॥ १ ॥ (मिगसिरं, अद्दा, पुण्णवसू, पुस्सो, असिलेसा, मघा, पुव्वाफग्गुणी, उत्तराफग्गुणी, हत्थो, चित्ता, साती, विसाहा, अणुराहा, जेट्ठा, मूलो, पुव्वाआसाढा) उत्तराओ आसाढाओ । जं वा सणिच्चरे महग्गहे तीसाए संवच्छरेहिं सव्वं णक्खत्तमण्डलं समाणेइ सेत्तं सणिच्छरसंवच्छरे ॥ [३६९ [१८४] भगवन् ! संवत्सर कितने बतलाये गये हैं ? गौतम ! संवत्सर पाँच बतलाये गये: हैं - १. नक्षत्र - संवत्सर, २. युग - संवत्सर, ३. प्रमाण - संवत्सर, ४. लक्षण-संवत्सर तथा ५ शनैश्चर - संवत्सर । भगवन् ! नक्षत्र - संवत्सर कितने प्रकार का बतलाया गया है ? गौतम ! नक्षत्र - संवत्सर बारह प्रकार का बतलाया गया है- श्रावण, भाद्रपद, आसोज, (कार्तिक, मिगसर, पौष, माघ, फाल्गुन, चैत्र, वैशाख, जेठ तथा ) आषाढ । अथवा बृहस्पति महाग्रह बारह वर्षो की अवधि में जो सर्व नक्षत्रमण्डल का परिसमापन करता हैउन्हें पार कर जाता है, वह कालविशेष भी नक्षत्र - संवत्सर कहा जाता है । भगवन् ! युग-संवत्सर कितने प्रकार का बतलाया गया है. ? गौतम ! युग-संवत्सर पांच प्रकार का बतलाया गया है - १. चन्द्र- संवत्सर, २. चन्द्र - संवत्सर, ३. अभिवर्द्धित - संवत्सर, ४. चन्द्र-संवत्सर तथा ५ अभिवर्द्धित - संवत्सर । भगवन् ! प्रथम चन्द्र- संवत्सर के कितने पर्व - पक्ष बतलाये गये हैं ? गौतम ! प्रथम चन्द्र-संवत्सर के चौवीस पर्व बतलाये गये हैं । भगवन् ! द्वितीय चन्द्र- संवत्सर के कितने पर्व - पक्ष बतलाये गये हैं ? गौतम ! द्वितीय चन्द्र - संवत्सर के चौवीस पर्व बतलाये गये हैं ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482